1. समर और बाबूजी के मध्य क्या बातचीत हुई।
उत्तर- बाबू जी ने समर से अत्यन्त गूढ़ रहस्य से पूछा । कुछ खास बात हुई क्या बहू
से, कही लड़ाई तो नहीं हो गई । क्या बात है, बहू तुम्हें पसन्द नहीं है क्या? साफ-साफ बता न झिझक क्यों रहा है परन्तु समर की बाबू जी के सामने बोलने की हिम्मत नहीं थी बाबू जी ने फिर समझाते कहा – वह बेचारी पराई, क्या कहेगी घर जाकर, कोई घर में आता है तो क्या ऐसा व्यवहार करते है। कि शादी तुम्हारी इच्छा से नहीं हुई परन्तु बेटे जो रिश्ता एक बार जुड़ जाता है फिर वो निभाना पड़ता है। और समर न जाने क्यों फूट-फूटकर रोने लग गया।
2.समर की भाभी ने समर को क्या कहा ?
उत्तर- समर को अकेला उदास बैठा देखकर भाभी ने समर से पूछा, क्या बात है लाला जी. तुम्हारी शादी न हुई मानो दुनिया भर की परेशिानियों का बोझ तुम पर पड़ गया हो, तुम्हें देखकर तो ऐसा लगता है मानों तुम्हें लड़के-लड़की की शादी करनी है दिखाई तो सबको, देता है – दिन छिप गया और तुमने कुछ खाया नहीं, सब धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। तुम्हारा खून भी गरम है, वह भी अभी बच्ची है, उसे मैं समझ दूँगी।
3. प्रभा के खाना बनाने पर क्या बवाल खड़ा हुआ।
उत्तर- जब प्रभा ने पहली बार शादी के बाद खाना बनाया तो समर खाने बैठा दाल में नमक ज्यादा होने के कारण वह थाली फैंक कर चल दिया – दाल कड़वी जहर कर रखी है मुझे नहीं खाने यह छप्पन भोग प्रभा की रुहासी सी आवाज़ भी आई कि दाल तो मैंने रख ली थी। भाभी ने खूब ताने मारे प्रभा को – अब तो चाहे अमरित बनाती रहो, यह बात तो अब आने से रही, बड़ी आई घड़ी पहनकर खाना बनाने वाली, अम्मा भी बोली- बड़ी आई, दाल तो मैंने चख ली थी। अरे, तुम्हारे यहाँ खाते होंगे निरा नमक, हमें क्या मतलब ? ज़रा कम ही डाल देती। लो अब इन्हें खाना बनाना भी सिखाओ, हमें तो इस शादी से कुछ नहीं मिला |