1. समर और भाभी के मध्य प्रभा को लेकर क्या बातचीत हुई ?
उत्तर- समर ने भाभी से कहा कि भाभी मैंने तो कहा था कि मुझे अभी शादी नहीं करनी मुझे पढ़ाई करने दो परन्तु मेरी किसी ने नहीं सुनी और इसे लाकर मेरे गले बाँध दिया और एक ही कोठरी में उसका भी सामान डाल दिया है अब तुम ही बताओ कि कोई पढ़ाई करे तो कैसे समर यह बातें जानबूझ कर कह रहा था ताकि प्रभा सुन ले। तभी भाभी ने भी कहा उससे कौन सा घरवाले भी खुश है बाप कह रहा था कि हम लोग पैसे के भूखे है, तुम ही बताओ पैसे का भूखा कौन नहीं होता उसका बाप नहीं है क्या ? वो भी तो अकेली लाडली बेटी है और तब भी न कुछ दिया न लिया ? समर ने भी कहा – मुझे तो शादी ही नहीं करनी थी जबरदस्ती मेरे गले में यह पत्थर लटका दिया गया है।
2. प्रभा घर के क्या-क्या काम करती थी और समर यह देखकर खुश क्यों होता था?
उत्तर- प्रभा घर का सब काम करती थी सुबह न जाने कब उठकर हरीरा बनाती फिर । अजे तक सारे काम करती, रात के बरतन इत्यादि साफ करती, चौका धुलता और नहा धोकर जल्दी ही रसोई घर में घुस जाती। ताकि कालेज जाने वालों को कहीं देर न हो जाए और भैया कही बिना खाना खाए न चले जाँए फिर रखाने का काम निपटाकर वह दाल, गेहूँ साफ करती, अमर, कुँवर के कपड़े सिली, रफू करती, सारा दिन काम में व्यस्त रहती, उसको काम करता देख समर खुश होता उसे लगता इकलौती बेटी थी अब काम करना पड़ा न। अब पता चलेगा। प्रभा के प्रति उसके हृदय में सहानुभूति का भाव नहीं था परन्तु प्रभा को यूँ मशीन की तरह काम करते देख और सारा घर संभाले देख वह हैरान जरूर होता।
3. प्रभा परदा क्यों नहीं करती थी? इस कारण घर में कौन-कौन नाराज़ था।
उत्तर- प्रभा जब किसी बड़े के सामने परदा नहीं करती और केवल मुँह मोड लेती तो बाबू जी बहुत गुस्सा करते उनको लगता यह तो बड़े-बूढ़ों का अनादर है। उन्होंने अम्मा से भी कहा – ‘फिर बेटी और बहू में फर्क ही क्या रह गया, बेटी भी मुँह खोले बाल बिखेरे घूमती है और बहू को भी चिन्ता नहीं है। कि पल्ला किधर जा रहा है। भाभी भी इस बात पर ताने कसती और अम्मा भी कहती बहू तुम्हारे यहां परदे का कायदा नहीं है तो न सही, लेकिन इस घर की रीत तो रखो, तुम हमसे पर्दा चाहे न करो परन्तु बड़ों से कुछ तो शरम होनी चाहिए। परन्तु प्रभा फिर भी कभी परदा नहीं करती शायद वह इन व्यर्थ के रीति-रिवाजों के खिलाफ थी।
4. समर ने प्रभा पर हाथ क्यों उठाया ? उस दिन क्या घटना घटित हुई थी?
उत्तर- उस दिन भाभी की बेटी के नामकरण संस्कार के बाद जब समर घर आया तो देखा सभी लोग कोठरी में खड़े प्रभा पर चीख रहे थे पूछने पर पता चला कि जिस मिट्टी के ढेले की पंडित जी ने गणेश के रूप पूजा की थी उस मिट्टी के ढेले से प्रभा ने बर्तन साफ कर लिए, जिस कारण घर में बवाल मचा था सब प्रभा पर गुस्सा कर रहे थे भाभी कह रही थी कि – आग लगे ऐसी पढ़ाई में पढ़ाई अपने लिए होगी कि दूसरे की जान लेनी होगी? हाय राम, पता नहीं अब क्या होने वाला है अम्मा भी प्रभा पर बरस रही थी तब जब समर को पता चला तो समर ने गुस्से में आकर प्रभा को थप्पड़ मार दिया परन्तु बाद में अपने इस व्यवहार पर उसे बहुत ग्लानि हुई।