अवतरण संबंधित प्रश्न उत्तर
(क) “साफ़ कह दिया कि भाई साहब, जब तक बड़े का प्रोग्राम नहीं आता, मैं शादी की तारीख तय नहीं कर सकती। घर की आखिरी शादी है। सबका होना निहायत जरूरी है।”
(i) वक्ता कौन है ? परिचय दें।
उत्तर : वक्ता आउटसाइडर शीर्षक कहानी की नायिका नीलम है। वह घर में सबसे बड़ी बेटी है और पिता के देहांत के बाद पूरा दायित्व संभालती है।
(ii) ‘आखिरी शादी’ से क्या आशय है ?
उत्तर : ‘आखिरी शादी’ का अर्थ यह है कि नीलम ने अपने पिता के देहांत के बाद घर का पूरा भार स्वयं संभाल लिया था। उसने अपना विवाह न करके अपने छोटे भाई-बहनों का पालन-पोषण किया। शिक्षा व विवाह का कर्तव्य भी निभाया। अब वह स्वयं को शादी से अलग रखते हुए छोटे भाई की शादी को आखिरी शादी घोषित कर रही है।
(iii) वक्ता ने शादी क्यों नहीं करवाई ?
उत्तर : वक्ता नीलम ने अपनी शादी इसलिए नहीं करवाई क्योंकि उसके पिता जी का असमय देहांत हो गया था। माँ एक घरेलू स्त्री थी। इस प्रकार घर का सारा बोझ नीलम पर आ गया। वह एक कॉलेज में प्राध्यापिका थी। अत: अपना सारा धन और यौवन अपने छोटे भाई-बहनों के कल्याण के लिए अर्पित कर दिया। अब प्रौढ़ अवस्था में उसके मन में शादी जैसी कोई लालसा नहीं बची थी।
(iv) वक्ता के विषय में परिजन क्या सोचते हैं और क्यों ?
उत्तर : नीलम के परिजन सोचते थे कि उसने भले ही अपना सारा यौवन अर्पित कर दिया है। परंतु अब उसे विवाह कर लेना चाहिए। इस दृष्टि के पीछे उनकी स्वार्थी भावना थी। वे सभी अपना-अपना जीवन अपने ढंग से जीना चाहते थे। उनकी भाभियाँ नहीं चाहती थीं कि उन पर नीलम के रूप में एक अविवाहिता ननद का अनुशासन चलता रहे। अत: वे एक सोची समझी चाल के अंतर्गत उसे उसके अपने घर से बाहर करना चाहती है।कर लेना चाहिए। इस दृष्टि के पीछे उनकी स्वार्थी भावना थी। वे सभी अपना-अपना जीवन अपने ढंग से जीना चाहते थे। उनकी भाभियाँ नहीं चाहती थीं कि उन पर नीलम के रूप में एक अविवाहिता ननद का अनुशासन चलता रहे। अत: वे एक सोची समझी चाल के अंतर्गत उसे उसके अपने घर से बाहर करना चाहती है।
(ख) “सो सैड,” नीलम ने हँसकर कहा “भई, अपनी अलका रानी को समझा देना कि मेरे लिए इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। मैंने जिंदगी की किताब से वे पेज बहुत पहले फाड़कर फेंक दिए थे, जिन पर शादी की इबारत लिखी हुई थी।”
(i) वक्ता और श्रोता कौन है ?
उत्तर : वक्ता नीलम और श्रोता उसकी बहन पूनम अर्थात् पम्मी है।
(ii) अलका कौन है और वह क्या चाहती है ?
उत्तर : अलका नीलम की भाभी है। वह सोचती है कि उस घर में सदा ही नीलम का शासन चलता आया है। वे अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन नहीं जी सकती इसलिए उन्हें लगता है कि एक अनब्याही ननद का साया हमेशा उनकी खुशियों पर मँडराता रहेगा।
(iii) नीलम विवाह क्यों नहीं करना चाहती ?
उत्तर : नीलम ने अपने पिता के असमय देहांत के बाद अपना समस्त धन और यौवन अपने भाई-बहनों के लिए अर्पित कर दिया था। इसीलिए उसने अपना विवाह नहीं किया था। वह त्याग की सजीव मूर्ति थी।
(iv) नीलम के लिए कैसे वर सुझाए जाते हैं और क्यों
उत्तर : नीलम के लिए जो रिश्ते वर के रूप में सुझाए जा रहे थे, वे सबके सब प्रौढ़ और लगभग बूढ़े थे। उनमें से कुछ दुहाजू और कुछ बाल-बच्चेदार विधुर थे। नीलम के शब्दों में वे ‘एंटीक पीस’ थे। वह कहती है – “मेरे भाई लोग, जैसे एंटीक पीसेस मेरे सामने परोस रहे हैं, उनसे इनका कोई मेल नहीं है | “
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न – संरक्षिका को आउटसाइडर घोषित करना आज की भौतिकवादी दृष्टि का परिणाम है। इस आलोक में प्रस्तुत कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार दीजिए।
उत्तर – आउटसाइडर’ नामक कहानी नीलम नामक एक ऐसी लड़की की करुण व्यथा-कथा है, जो आत्म-बलिदानी होते हुए भी ‘आउटसाइडर’ मान ली जाती है। वह अपना सारा जीवन एक संरक्षिका के रूप में बिता देती है। जिस परिवार और परिजनों के लिए उसने अपना जीवन अर्पित कर दिया, वही उसे आउटसाइडर समझने लगते हैं।कहानीकार के रूप में मालती जोशी की सारी संवेदना नीलम के साथ है।जिन भाइयों और भाभियों पर उसे गर्व था, वही उसे अपने घर में एक अनचाहा बुजुर्ग मानने लगते हैं। भाभी का कथन -अब यही समझ लो कि वे हमारी ननद नहीं, सास हैं और उन्हें हमेशा साथ ही रहना है।”नीलम को विश्वास ही नहीं होता कि उसे विवाह के लिए इस प्रौढ़तर आयु में विवश करने के पीछे ऐसी घृणित योजना थी। वे वास्तव में उसके वैवाहिक सुख को लेकर नहीं अपितु अपनी स्वतंत्रता में बाधा पहुँचने के लिए चिंतित थे उसे अपने भाइयों पर अटूट विश्वास था। यही कारण है कि जब उसे बस्तर में प्रिंसिपल बनाए जाने का प्रस्ताव आता है तो वह कहती है “सो तो ठीक है मैडम, पर मुझे नहीं लगता कि मेरे भाई लोग मुझे इतनी दूर जाने देंगे।” नीलम को पता ही नहीं था कि जिन भाइयों के बारे में वह इतना अभिमान कर रही थी, वही उसे घर से भगाने के लिए उतारू हैं। वे अपनी संरक्षिका दीदी को घर से हटाने के लिए बार-बार प्रयास करते हैं। पहला प्रयास तो उसे जिस-किस के पल्लू से बाँधकर घर से विदा करने का था। वह असफल हुआ तो दूसरा अवसर हाथ से कैसे जाने देते। वे बस्तर जाने को सूचना पाकर मानो जीवन का कल्पवृक्ष पा गए हों। जिन भाइयों से नीलम को आशा थी कि वे उसे बस्तर जाने से रोकेंगे, वही मन ही मन मुदित होने लगे। कहानीकार के शब्दों में पर कहाँ । किसी ने भी तो प्रतिवाद नहीं किया। पम्मी ठीक ही कह रही थी। बल्कि उसने तो रिटायरमेंट के बाद की बात कही थी। पर नीलम को लग रहा था कि घर में उसकी हैसियत अभी से किसी फालतू सामान की-सी हो गई है। नीलम ने अपने परिवार के लिए भले ही सर्वस्व अर्पित कर दिया था परन्तु उसकी हैसियत थी तो बस एक आउटसाइडर की। इसीलिए उसकी बहन भी उससे इस कटु सत्य से साक्षात्कार कराती हुई इस प्रकार कहती हैं- “तुमने इस घर को लाख अपने खून से सांचा हो, पर यह घर कभी तुम्हारा अपना नहीं हो सकता। तुम यहाँ हमेशा आउटसाइडर ही रहोगी।” कहानीकार ने इस दुख को अत्यंत संवेदना के साथ प्रस्तुत किया है कि नीलम की माँ ने भी माँ होकर उसके साथ पक्षपात किया। कमाने का भार उसके युवा कंधों पर लादकर वे बाकी बच्चों का लालन-पालन करती रहीं। उम्र उसकी मुट्ठी में से रेत की तरह फिसलती रही और अम्मा जानकर भी अनजान बनी रही। अब वही परिवार उसके त्याग को भूलकर उसे एक आउटसाइडर मानने लगा है।