काकी सार (summary)
सियारामशरण गुप्त द्वारा रचित कहानी काकी बाल मनोविज्ञान पर आधारित है | यह कहानी श्यामू नामक बालक की मातृ वियोग से उत्पन्न तड़प से संबंधित है | काकी कहानी का मुख्य पात्र श्यामू है जिसकी माँ की अचानक मृत्यु हो जाती है एक दिन सुबह उठकर वह देखता है कि उसकी माँ जमीन पर कंबल ओढ़े लेती है| उसकी माँ को चारों तरफ से सभी लोग घेर कर बैठे हैं | श्यामू अपनी माँ उमा को श्मशान नहीं ले जाने दे रहा था उसे बताया जा रहा था कि तुम्हारी माँ मामा के घर गई है| किंतु कुछ ही दिनों में उसे अपने दोस्तों के द्वारा वास्तविकता पता चल गई| कि माँ मामा के घर नहीं बल्कि राम जी के घर गई है|एक दिन उदास होकर श्यामू आकाश में उड़ती हुई पतंग देख रहा था पतंग देखकर बहुत प्रसन्न हो गया उसने सोचा कि क्यों न वह एक पतंग आकाश में उड़ा दे जिस पर बैठकर उसकी माँ राम के यहां से नीचे आ जाएगी उसने अपने पिता से एक पतंग दिलाने की प्रार्थना की पिता ने हाँ तो कर दी पर पतंग नहीं मँगवाई |श्यामू ने अपने पिता के कोट से पैसे चुराकर पतंग और डोर मँगवा लिया श्यामू ने अपनी पतंग पर काकी लिखवाया जिसे पढ़कर वह नीचे आ जाएगी |लेकिन चोरी करने पर उसे अपने पिता से मार पड़ी | दासी पुत्र भोला ने बताया कि श्यामू पतंग उड़ा कर काकी को नीचे उतारना चाहता था |विश्वेश्वर चुपचाप खड़े होकर कुछ सोचने लगे | जब उन्होंने फटी पतंग देखी तो उस पर चिपके हुए कागज पर लिखा था – काकी |
कहानी का उद्देश्य
कहानी में अत्यंत मार्मिक ढंग से एक अबोध तथा मासूम बालक की मातृवियोग की पीड़ा को व्यक्त किया गया है | कहानीकार ने यह चित्रित किया है कि बालकों का ह्रदय अत्यंत कोमल , भावुक तथा संवेदनशील होता है बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को स्पष्ट करना ही इस कहानी का उद्देश्य है | बच्चे जीवन की वास्तविकता से अपरिचित होते हैं , कल्पना की प्रधानता उनकी विशेषता है | वे यह समझ नहीं पाते कि मरने के पश्चात व्यक्ति पुनः पृथ्वी पर नहीं लौटता | इसी कारण श्यामू माँ का बिछड़ना सहन नहीं कर पाता |
शीर्षक की सार्थकता
संपूर्ण कहानी में बालक श्यामू अपनी माँ काकी के लिए व्याकुल रहता है | यहाँ बालक का अपनी काकी के प्रति असीम प्यार दिखाया गया है | उसकी माँ की मृत्यु हो चुकी है , लेकिन उसे यह पता चलता है कि उसकी माँ काकी राम जी के यहाँ है वह उससे मिलने के लिए पतंग और डोर से आकाश में रह रही , काकी को राम के घर से धरती पर लाने की योजना बनाता है | इसलिए पिता के कोट से रुपये भी चोरी करता है तथा पिता से उसे पिटाई भी मिलती है | इस प्रकार पूरी कहानी ‘ काकी ‘ के चारों ओर घूमती दिखाई पड़ती है ,अतः शीर्षक पूर्णतया सार्थक है |
चरित्र चित्रण
श्यामू
श्यामू इस कहानी का मुख्य पात्र है | श्यामू विश्वेश्वर का पुत्र है | वह भावुक , कल्पनाशील तथा संवेदनशील अबोध बालक है | वह अपनी माँ से अत्यधिक प्रेम करता है | वह इतना अबोध है कि जब लोग उसकी माँ को श्मशान ले जा रहे थे तो बहुत कठिनाई से उसे अपनी काकी से अलग किया गया और कहा कि वह मामा के घर गई है | माँ की मृत्यु के पश्चात दुखी और उदास रहता है | माँ के स्नेह से वंचित श्यामू माँ से मिलने के लिए बेचैन है | पत्नी की मृत्यु से दु:खी विश्वेश्वर भी उसे अपना प्रेम नहीं दे पाते हैं | बच्चे काल्पनिक प्रवृत्ति के होते हैं | एक दिन उसने एक पतंग के द्वारा अपनी माँ को राम के यहाँ से बुलाने की योजना बनाई उसे पूरा करने के लिए उसने अपने पिता के कोट से पैसे भी चुराए | श्यामू अत्यंत संवेदनशील बालक है |
भोला
भोला सुखिया दासी का लड़का था और श्यामू का दोस्त था पर वह श्यामू से अधिक समझदार था जब उसने श्यामू की बात सुनी तो कहा कि पतंग में मोटी रस्सी हो तो ठीक रहेगा क्योंकि पतली डोरी को पकड़कर काकी नीचे नहीं आ सकती | वह टूट जाएगी | भोला अत्यंत डरपोक भी था इसलिए जब विश्वेश्वर ने डाँटकर पैसे चुराने के संबंध में पूछा तो उसने सारी बात सच – सच बता दी | वह भी बाकी बालकों की तरह भावुक था|
विश्वेश्वर
विश्वेश्वर श्यामू के पिता हैं। वे अपनी पत्नी उमा की मृत्यु से अत्यधिक दु:खी हैं, इस कारण अपने पुत्र की तरफ ध्यान नहीं देते। उसे भरपूर स्नेह नहीं दे पाते। वे चाहते हैं कि उनका बेटा एक अच्छा इंसान बने, अत: पतंग एवं डोर के लिए श्यामू के द्वारा रुपए चोरी करने पर उसकी पिटाई करते हैं। उन्हें जब यह ज्ञात होता है कि अपनी माँ काकी का सामीप्य प्राप्त करने के लिए श्यामू ने चोरी की थी तब वे अवाक् रह जाते हैं, उन्हें अपनी भूल ज्ञात होती है। उनके क्रोध का स्थान अब पीड़ा ने ले लिया है। समझ जाते हैं कि बिन माँ के छोटे बालक का ध्यान रखना तथा उसे पूर्ण स्नेह देना पिता का अहम् कर्तव्य है।
कहानी के मुख्य बिंदु
- सवेरे-सवेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर में कुहराम मचा है।
- उसकी माँ एक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि पर लेटी है तथा घर के लोग उसे घेरकर रो रहे हैं।
- जब लोग उसकी माँ के मृत शरीर को श्मशान ले जाने लगे तो श्यामू ने बहुत उपद्रव किया।
- लोगों ने उसे विश्वास दिलाया कि उसकी काकी (माँ) उसके मामा के यहाँ गई है।
- धीरे-धीरे श्यामू को पता चल ही गया कि उसकी माँ ऊपर राम के यहाँ गई हुई है।
- एक दिन श्यामू ने आसमान में उड़ती हुई एक पतंग देखी।
- पतंग को देखकर उसने कुछ सोचा और अपने पिता से एक पतंग मँगा देने की प्रार्थना की।
- कुछ दिनों तक पतंग नहीं आई तो श्यामू ने अपने पिता के कोट से चवन्नी चुराई और सुखिया दासी के लड़के भोला को देकर उसे पतंग और डोर लाने को कहा।
- पतंग आ गई, उसमें डोर बाँधी जाने लगी।
- श्यामू ने भोला से कहा कि वह इस पतंग को राम के यहाँ ऊपर भेजेगा जिससे कि उसे पकड़कर काकी नीचे आ सके।
- भोला बोला कि डोर पतली है, उसे पकड़कर काकी नीचे नहीं आ सकती। पतंग में मोटी रस्सी होनी चाहिए।
- श्यामू ने रस्सी लाने के लिए अपने पिता के कोट से एक रुपया और चुराया और भोला को दो रस्सियाँ लाने को दे दिया।
- श्यामू ने बताया कि वह जवाहर भैया से एक कागज पर ‘काकी’ लिखवा लेगा।
- श्यामू और भोला पतंग में रस्सी बाँध रहे थे कि अचानक श्यामू के पिता विश्वेश्वर वहाँ आ गए।
- उन्होंने धमकाकर पूछा कि क्या तुमने हमारे कोट से रुपया चुराया है ?
- भोला डर गया और उसने सारी बात सच-सच बता दी।
- विश्वेश्वर ने श्यामू को दो तमाचे जड़ दिए और पतंग भी फाड़ दी।
- भोला ने उन्हें बताया कि श्यामू ने ही रस्सियाँ और पतंग मँगवाई थी।
- वह इसे राम के यहाँ भेजकर अपनी काकी को नीचे उतारना चाहता था।
- विश्वेश्वर ने जब फटी पतंग उठाकर देखी तो उस पर लिखा था- ‘काकी’।
अवतरण संबंधित प्रश्न – उत्तर
(क) वह प्रायः अकेला बैठा-बैठा शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता। एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा। विश्वेश्वर के पास जाकर बोला, “काका! मुझे एक पतंग मँगा दो।”
(i) ‘उसके’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? उसके दुखी होने का क्या कारण था?
उत्तर : उसके’ शब्द का प्रयोग श्यामू के लिए किया गया है। उसके दुखी होने का कारण उसकी माँ की मृत्यु थी।
(ii) क्या देखकर उसका हृदय खिल उठा था ? उसने अपने पिता से क्या माँगा ?
उत्तर : एक दिन श्यामू अकेला बैठा आकाश की ओर ताक रहा था तो उसने एक उड़ती पतंग देखी। पतंग देखकर उसका हृदय खिल उठा। उसने अपने पिता से एक पतंग माँगी।
(iii) उसने उस चीज का प्रबंध कैसे किया ? क्या उसके इस कार्य को अपराध कहना उचित होगा ? समझाइए।
उत्तर : पिता ने ‘हाँ’ करके भी श्यामू को पतंग लाकर नहीं दी तो उसने पिता के कोट से एक चवन्नी चुरा ली और सुखिया दासी के पुत्र भोला से पतंग मँगवा ली। यह कार्य चोरी के अपराध में आता है परंतु अपनी माँ के मोह में जकड़े श्यामू के लिए यह कतई अपराध न था।
(iv) विश्वेश्वर ने बालक के साथ कैसा व्यवहार किया ? संक्षेप में समझाते हुए उनके इस तरह के व्यवहार का – कारण तथा सच्चाई जानने के बाद की स्थिति का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर : विश्वेश्वर को अपने कोट से रुपया चोरी होने का पता चला तो वे श्यामू से पूछते हैं। डरकर भोला ने सारी कहानी बता दी। पिता ने श्यामू के दो तमाचे जड़ दिए और पतंग फाड़ डाली। परंतु जब उन्हें चोरी के कारण – का पता चला तो उनका सारा क्रोध शांत हो गया और उनके मन में पीड़ा जाग उठी।
(ख) ” एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हदय एकदम खिल उठा। विश्वेश्वर के पास जाकर बोला, “काका! मुझे एक पतंग मंगा दो।”
(i) आसमान में उड़ती पतंग देखकर किसका हृदय एकदम खिल उठा और क्यों ?
उत्तर : आसमान में उड़ती हुई पतंग को देखकर श्यामू का ह्रदय इसलिए खिल उठता है क्योंकि राम के घर से अपनी काकी को नीचे लाने का मार्ग उस अबोध बालक को मिल गया था |
राम के घर काकी का नाम लिखकर पतंग भेजेगा और उसे पकड़कर उसकी काकी नीचे उसके पास आ जाएगी |
(ii) क्या विश्वेश्वर ने उसे पतंग मँगवा दी? यदि नहीं, तो पतंग कैसे आई ?
उत्तर : विश्वेश्वर अपनी पत्नी की मृत्यु के कारण शांत रहते थे | इसलिए ‘अच्छा मँगा दूँगा ‘ कहा, पर पतंग नहीं मँगवाई | इसलिए श्यामू ने उनके कोट की जेब से चवन्नी चुराकर पतंग मंगवाई
(iii) पतंग आने पर श्यामू ने किसकी सहायता ली और उसने क्या सुझाव दिया ?
उत्तर : पतंग आने पर श्यामू ने भोला की सहायता से पतंग को ऊपर आसमान में भेजकर काकी को नीचे लाने के विषय में भोला को बताया। तब भोला ने उसका समर्थन किया और यह सुझाव दिया कि यह डोर पतली है। इसे पकड़ कर काकी नीचे उतर नहीं सकती। इसके टूट जाने का डर है। पतंग में मोटी रस्सी हो, तो सब ठीक हो जाएगा।
(iv) इस कहानी में क्या समझाने का प्रयास किया गया है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस कहानी के माध्यम से बालकों के कोमल, भावुक, निश्छल, अबोध स्वभाव का चित्रण करते हुए यह समझाने का प्रयास किया गया है कि वे मातृवियोग नहीं सह सकते हैं। माता के बिना रहना उनके लिए अत्यंत कष्टकारी होता है। इसके अतिरिक्त बच्चों को डाँटने-फटकारने से पहले उनके कार्य करने के पीछे की भावना और परिस्थितियों को अवश्य जानने का प्रयास करना चाहिए।