‘ गौरी ‘ सार (Summary)
गौरी कहानी सुभद्राकुमारी चौहान जी द्वारा रचित है जिसका कथानक संक्षिप्त, प्रभावशाली एवं भावात्मक है गौरी कहानी में गौरी के माता-पिता को गौरी के विवाह की चिन्ता है इसी संदर्भ में गौरी के पिता राधाकृष्ण गौरी के लिए वर देखकर कानपुर से जब लौटते है तो उनको परेशान देखकर गौरी दुखी होती है और लगता है कि अपने माता-पिता की परेशानी का कारण वही है तब कुंती गौरी की माँ राधाकृष्ण जी से परेशानी का कारण पूछती है तो वह बताते है कि जो लड़का वह गौरी के लिए देखकर आए है वह लड़का नहीं 35-36 साल का आदमी है और उसके दो बच्चे हैं वह बच्चों के कारण की शादी कर रहा है और अगले इतवार को वह गौरी को देखने आ रहा है सीताराम जी अपने दोनों बच्चों के साथ गौरी को देखने आते है और उनकी सादगी से गौरी बहुत प्रभावित होती है और छोटे बच्चों के प्रति भी उसके मन में प्रेम भावना उठ आती है तभी राधाकृष्ण जी का मन गौरी के रिश्ते को लेकर उदास ही रहता है उनका मानना था कि यह उनकी बेटी की तो दूसरी शादी नहीं है इसी कारण वह सीताराम जी को बहाना बनाकर कि गौरी की माँ पुराने ख्यालों की है जन्मपत्री भिजवा दीजिए सीताराम जी बात को समझ जाते है कि वह रिश्ता नहीं करना चाहते है। तब राधाकृष्ण जी गौरी का रिश्ता नायब तहसीलदार से तय कर देते हैं परन्तु गौरी का मन सीताराम जी की देश भक्ति और सादगी को ही महत्व देता है शादी के पन्द्रह दिन पहले नायब तहसीलदार जी के पिता की मृत्यु के कारण विवाह की तारीख टल जाती है गौरी के मन को तब राहत मिलती है। तभी गौरी समाचार पत्र में पढ़ती है कि सीताराम जी को राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें साल की जेल हो गई है गौरी बच्चों की चिन्ता करती है और अपनी माता से कानपुर जाने का पूछकर कानपुर चली जाती है साल बाद जब सीताराम जी घर लौटते हैं तो बच्चों के साथ गौरी को देखकर वह हैरान रह जाते हैं और गौरी उनकी चरण-धूलि माथे पर लगाती है इस प्रकार कहानी का भावात्मक अन्त होता है।
प्रश्न – उत्तर
i) बाबू राधाकृष्ण कौन थे एवं उन्हें क्या चिन्ता थी।
उत्तर – बाबू राधाकृष्ण गौरी के पिता थे उन्हें गौरी की शादी की चिन्ता थी उन्होंने गौरी के लिए कई वर देखे लेकिन कोई उचित न मिला आज वो कानपुर में जिस लड़के को देखकर आए थे उसकी आयु गौरी से बहुत ज्यादा थी इसी कारण वह चिन्तित थे।
ii) गौरी कौन थी ?
उत्तर – गौरी बाबू राधाकृष्ण जी एवं कुंती की बेटी थी वह कहानी की
प्रमुख पात्र है वह दृढ़ निश्चय वाली, निडर एवं हठीले स्वभाव की लड़की है |
iii) गौरी अपने आप को अपराधिन क्यों मान रही थी?
उत्तर – गौरी को महसूस हो रहा था कि वह अपने माता-पिता की चिन्ता का कारण है उसी के विवाह की चिन्ता के कारण उसके माता-पिता चिन्तित रहते है यही कारण है कि वह अपने आप को अपराधिन महसूस कर रही है।
iv) गौरी के पिता कहाँ से आए थे?
उत्तर – गौरी के पिता कानपुर से आए थे वह वहाँ गौरी के लिए रिश्ता देखने गए थे।
v) गौरी के शादी के बारे में क्या विचार थे?
उत्तर: गौरी शादी को लेकर अधिक परेशान नहीं थी उसे लगता था कि यदि वह शादी न भी करें तब भी वह सुखी रहेगी और उसके विचार में माता पिता जिसके साथ भी उसकी शादी करें, वह सुखी रहेगी।
vi) ‘ गौरी ‘ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करें ?
उत्तर- गौरी कहानी एक सामाजिक कहानी है जिसका उद्देश्य लड़की के विवाह की चिन्ता के साथ जुड़ा है यही चिन्ता राधाकृष्ण को चिन्तित रखती है कहानी का उद्देश्य यह भी बताना है कि शादी के लिए वर की विचारधारा अधिक महत्व रखती है न कि उसका ओहदा या उम्र।
vii) कहानी किस परिवेश या वातावरण को लेकर लिखी गई
उत्तर- कहानी सामाजिक परिवेश या वातावरण को लेकर लिखी गई। है समाज की समस्या-लड़की का विवाह कहानी का मुख्य विषय है जिसके इर्द गिर्द ही सारी कथा घूमती है।
viii) कहानी में किस समस्या को चित्रित किया गया है?
उत्तर- कहानी में लड़की के विवाह की समस्या को चित्रित किया गया है। जब गौरी की शादी को लेकर उसके माता-पिता चिन्तित रहते हैं तो गौरी अपने आप को अपराधिन समझने लगती है उसे लगता है कि वह अपने माता पिता की परेशानी का कारण है तथा इस कारण उसमें आत्मग्लानि एवं दुख का भाव आ जाता है।
ix ) गौरी कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर : गौरी कहानी का शीर्षक गौरी उचित एवं सार्थक है कहानी का शीर्षक उसके किसी चरित्र पर या किसी विशिष्ट विशेषता पर होना चाहिए उसी प्रकार गौरी कहानी एक चरित्र प्रधान कहानी है एवं चरित्र के नाम पर कहानी का नाम गौरी रखा गया है। जो सार्थक एवं समीचीन है। सम्पूर्ण कहानी गौरी के जीवन से सम्बन्धित है। कहानी के आरम्भ में गौरी के माता-पिता उसकी शादी के लिए चिन्तित है तथा उसके लिए योग्य वर की तलाश करते है राधाकृष्ण गौरी के पिता सीताराम जी को गौरी के वर के रूप में देख कर आते है परन्तु उमर में बड़ा और दो बच्चों का पिता होने के कारण वह उसे गौरी के योग्य नहीं मानते और नायब तहसीलदार से उसकी शादी निश्चित कर देते है परन्तु गौरी सीताराम जी की सादगी को पसन्द करती है और बच्चों के प्रति भी प्रेम भाव रखती है वह नायब तहसीलदार जैसे विलासी युवक की पत्नी बनने की बजाए सीताराम जी के बच्चों की माँ बनना अधिक पसन्द करती है इसी कारण वह कहानी के अन्त में अपना कर्त्तव्य निश्चित करती है और सीताराम जी की गिरफ्तारी का समाचार सुनकर बच्चों के पास कानपुर चली जाती है। इस प्रकार सम्पूर्ण कहानी एक चरित्र प्रधान कहानी है और गौरी के चरित्र पर केन्द्रित है इसलिए गौरी इस कहानी का उचित एवं सार्थक शीर्षक है ।
अवतरण संबंधित प्रश्न उत्तर
” और फिर उमर में भी तो अधिक है: 35-36 साल! साथ ही दो बच्चे भी हैं। उन्ही बच्चों को सँभालने के लिए तो वे विवाह करना चाहते हैं, नहीं तो शायद न करते। उनकी दूसरी शादी है।”
- कहानी और कहानीकार का नाम लिखिए।
उत्तर : कहानी का नाम ‘गौरी’ और कहानीकार का नाम सुभद्राकुमारी चौहान है।
- वक्ता कौन है ? वह किसके लिए वर निश्चित करने को लेकर टिप्पणी कर रहा है ?
उत्तर : वक्ता बाबू राधाकृष्ण है जो अपनी इकलौती पुत्री गौरी के लिए वर निश्चित करना चाहते हैं। वे सीताराम जी को देखने गए थे और वहाँ से निराश होकर लौटे थे। उसी संदर्भ में वे अपनी टिप्पणी कर रहे थे।
- वर की दशा के बारे में क्या कुछ कहा गया है ?
उत्तर : वर की अवस्था दुहाजू की है। वह 35-36 वर्ष का प्रौढ़ है। उसके पहली पत्नी से दो बच्चे भी हैं। वे बच्चों के लालन-पालन के लिए दूसरा विवाह करना चाहते हैं। इस पर टिप्पणी की जा रही थी कि ऐसे पुरुष को अपने बच्चों के लिए धाय चाहिए न कि पत्नी ।
- श्रोता कौन है और उनके क्या विचार हैं ?
उत्तर : श्रोता राधाकृष्ण की पत्नी कुंती है। वह एक सामान्य घरेलू विचारों वाली माँ है जो अपनी पुत्री के भविष्य को लेकर सजग है। उनके विचार परंपरावादी हैं। वे सीताराम को एक अच्छे और योग्य वर के रूप में नहीं देखती हैं। उनका विचार है कि जिन्हें दूसरी शादी करनी होती है, वे सब बच्चों का ही बहाना बनाते हैं। वे कभी भी यह नहीं कहते कि वे अपने लिए दूसरा विवाह कर रहे हैं।