हालदार साहब के लिए कौन-सी बात चकित और द्रवित करने वाली थी ?
- मूर्ति बनाने वाला कस्बे का एक अध्यापक था
- मूर्ति बहुत सुन्दर थी
- मूर्ति को बनाने वाला कोई बड़ा कलाकार नहीं था
- मूर्ति बहुत थोड़े समय में बनाई गई थी
Answer : मूर्तिबनाने वाला कस्बे का एक अध्यापक था
मूर्तिकार क्या तय नहीं कर पाया होगा ?
- मूर्ति इतनी जल्दी कैसे पूरी की जाए?
- मूर्ति के लिए संगमरमर पत्थर कहाँ से लाया जाए?
- मूर्ति के लिए पत्थर का पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए?
- मूर्ति पर कौन-सा चश्मा फिट किया जाए?
Answer : मूर्ति के लिए पत्थर का पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए?
कुछ और बारीकी के चक्कर में ‘वाक्य का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है ?
- काँच के चश्मे के संबंध में
- मूर्ति को सुंदर बनाने के संबंध में
- मूर्ति को जल्दी बनाने के संबंध में
- मूर्ति को नेताजी जैसा दिखाने के संबंध में
Answer : काँच के चश्मे के संबंध में
‘पारदर्शी’ का अर्थ है-
- जिसके आर-पार न देखा जा सके
- जिसके आर-पार देखा जा सके
- जिसके आर-पार धुँधला दिखाई दे
- इनमें से कोई नहीं
Answer : जिसके आर-पार देखा जा सके
मूर्ति बनाने वाला कहाँ काम करता था ?
- वह कस्बे के स्कूल में चपरासी था
- वह कस्बे के स्कूल में गणित का अध्यापक था
- वह कस्बे के स्कूल में प्रधानाचार्य था
- वह कस्बे के स्कूल में ड्राइंग मास्टर था
Answer : वह कस्बे के स्कूल में ड्राइंग मास्टर था
हालदार साहब अंत में किस निष्कर्ष पर पहुँचे?
- मूर्ति पर संगमरमर के चश्मे के न होने पर रियल चश्मा लगाने का प्रयास सराहनीय था।
- चौराहे पर मूर्ति का लगाना कस्बे के नागरिकों का ठीक प्रयास नहीं था।
- चौराहे पर लगी मूर्ति बेहद सुंदर लग रही थी।
- मूर्ति पर लगा चश्मा उपयुक्त नहीं लग रहा था।
Answer : मूर्ति पर संगमरमर के चश्मे के न होने पर रियल चश्मा लगाने का प्रयास सराहनीय था।चौराहे पर मूर्ति का लगाना कस्बे के नागरिकों का ठीक प्रयास नहीं था।
महत्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं बल्कि……… का है।
- उसमें निहित भावना
- उसके संदेश
- उससे मिलने वाली प्रेरणा
- उसे बनाने में खर्च हुए पैसों
Answer : उसमें निहित भावना