भाषा की व्युपत्ति – भाषा शब्द भाष् धातु से बना है जिसका अर्थ है – बोलना | भाषा का मुख्य प्रयोग बोलकर ही होता है ; परन्तु दूर होने के कारण मनुष्य अपने विचार लिखकर प्रकट करने लगा इस कारण लिखित रूप विकसित होता चला गया |
भाषा किसे कहते है ?
भाषा वह सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर या लिखकर अपने विचार दूसरों तक सरलता स्पष्टता , विस्तार से व्यक्त कर सकता है |
भाषा के कितने प्रकार हैं ?
भाषाके निम्लिखित दो प्रकार हैं –
1 ) मौखिक भाषा
2 ) लिखित भाषा
मौखिक भाषा –
मुँह से बोली जाने वाली तथा कानों से सुनी जाने वाली मौखिक भाषा कहलाती है |
लिखित भाषा
वह भाषा जिसे हम लिखकर और पढ़कर अपने मन के विचारों और भावों को समझाते है , लिखित भाषा कहलाती है|
लिपि किसे कहते है ?
मौखिक ध्वनियों को लिखकर प्रकट करने के लिए , किए गए निश्चित चिन्ह ही लिपि कहलाते हैं |
जैसे –
भाषा | लिपि | भाषा | लिपि |
हिन्दी | देवनागरी | अंग्रेजी | रोमन |
संस्कृत | देवनागरी | उर्दू | फ़ारसी |
मराठी | देवनागरी | पंजाबी | गुरुमुखी |
कोंकणी | देवनागरी | जर्मन | रोमन |
नेपाली | देवनागरी | बंगाली | बांग्ला |
गुज़राती | देवनागरी | फ्रेंच | रोमन |
कन्नड | कन्नड | जापानी | हीरागना , कांजी |
मातृभाषा
मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है – मातृ अर्थात् माँ के द्वारा या परिवार के द्वारा बोली जाने वाली भाषा , मातृभाषा कहलाती है |
राष्ट्रभाषा
ऐसी भाषा जो देश में अधिकतम लोगों द्वारा बोली व समझी जाती है, उस देश की राष्ट्रभाषा कहलाती है|
भारत की राजभाषा
भारतीय संविधान के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की गई| प्रतिवर्ष 14 सितंबर को ” हिंदी दिवस ” के रूप में मनाया जाता है|
भारतीय संविधान में बाईस भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है | ये है –
हिंदी , संस्कृत , उर्दू , पंजाबी , डोगरी , कश्मीरी, बंगला , असमी, मलयालम, मणिपुरी , उड़िया , गुजराती ,तेलुगू, तमिल , कन्नड़ , सिंधी, मराठी , मैथिली , संथाली , बोडो, कोकड़ी और नेपाली |
बोली
किसी छोटे क्षेत्र में प्रयुक्त की जाने वाली वह भाषा जिसका प्राय: बोलचाल के लिए ही किया जाता है, बोली कहलाती है|
बोली और भाषा में अंतर-
बोली | भाषा |
1) बोली का प्रयोग आम बोलचाल में होता है| | 1) भाषा में साहित्य की रचना होती है |
2) बोली सीमित क्षेत्र में बोली जाती है| | 2) भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है |
3) बोली के नियम व्याकरण शास्त्र में नहीं होतेहैं| | 3) भाषा व्याकरण के नियमों से बंधी होती है |
4) बोली में पद्य साहित्य की रचना होती है| जैसे – सूरदास, कबीरदास, तुलसीदास के पद्य साहित्य में रचना की है| | 4) भाषा में गद्य और पद्य दोनों प्रकार के साहित्य की रचना होती है |
हिंदी की उपभाषाएँ और बोलियाँ –
- हिंदी भाषा की पांँच उपभाषाएँ होती हैं-
- हिन्दी में कुल अठारह बोलियाँ है |
उपभाषाएँ | बोलियाँ |
1. पूर्वी हिंदी | अवधी , बघेली , छत्तीसगढ़ |
2. पश्चिमी हिंदी | खड़ी बोली , ब्रजभाषा, हरियाणवी (बांगरू) बुंदेली,कन्नौजी |
3. राजस्थानी हिंदी |
मेवाड़ी, मारवाड़ी , मेवाती , हाडोती |
4. पहाड़ी हिंदी |
गढ़वाली, कुमाऊँनी, मडियाली (हिमांचल प्रदेश) |
5. बिहारी हिंदी |
भोजपुरी , मगही, ( मगधी ) मैथिली |
व्याकरण किसे कहते है ?
व्याकरण वह शास्त्र है जिसकी सहायता से शुद्ध लिखना, पढ़ना व बोलना आ जाता है|
व्याकरण के अंग –
व्याकरण के निम्नलिखित चार मुख्य अंग है-
1.वर्ण विचार– के अंतर्गत – वर्णों के स्वरूप , भेद , उच्चारण , आकार , उत्पत्ति आदि पर विचार किया जाता है |
2. शब्द विचार– के अंतर्गत – शब्दो की उत्पत्ति, भेद , लिंग , वचन , कारक आदि के संबंध में अध्ययन किया जाता है |
3. पद विचार– इसके अंतर्गत – पद, उसके भेदों तथा रचना आदि का अध्ययन किया जाता है|
4.वाक्य विचार– के अंतर्गत – वाक्य रचना, वाक्य विश्लेषण, भेद, विराम चिन्ह आदि का वर्णन किया जाता है|
- हिंदी दिवस कब मनाया जाता है
14 सितंबर
- विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है
10 जनवरी वर्ण विचार