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मुख्य बिंदु
- संसार में भगवान राम के समान कोई दूसरा उदार नहीं है।
- जो गति ज्ञानी और मुनियों के लिए भी बहुत प्रयत्न से प्राप्त होती है, वही गति राम ने गिद्ध (जटायु) और शबरी को प्रदान की।
- रावण ने जिस संपत्ति को अपने सिरों को अर्पण करके शिव से प्राप्त किया था, राम ने विभीषण को वही संपत्ति अत्यंत संकोच के साथ दे दी।
- सब प्रकार के सुख प्राप्त करने के लिए राम का भजन आवश्यक है।
- जिस व्यक्ति को राम और सीता प्रिय नहीं हैं, उसे परम शत्रु समझकर छोड़ देना चाहिए।
- राम के विरोध के कारण प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकशिपु और विभीषण ने अपने भाई रावण को छोड़ दिया।
- भरत ने राम के वनवास और पिता की मृत्यु का कारण अपनी माता कैकेयी को छोड़ दिया।
- राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य को छोड़ दिया।
- ब्रज की स्त्रियों ने कृष्ण प्रेम में बाधक बन रहे अपने पतियों को छोड़ दिया।
- राम और सीता के विरोधी व्यक्तियों से प्रेम करने से हानि होती है।
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