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मुख्य बिंदु
- यशोदा कृष्ण को पालने में झुलाकर सुलाने का प्रयत्न कर रही है। वह उन्हें दुलारती है, पुचकारती है तथा कुछ-कुछ गा भी रही है।
- कृष्ण कभी पलक मूँद लेते हैं, तो कभी अपने होंठ फड़काने लगते हैं।
- कृष्ण को सोया हुआ जानकर यशोदा संकेतों से सबको चुप कराती है।
- इसी बीच कृष्ण फिर अकुलाने लगते हैं और यशोदा पुनः लोरी गाने लगती हैं।
- कृष्ण माखन खाते समय मचल रहे हैं। वे नींद के कारण जम्हाई ले रहे हैं।
- कृष्ण तरह-तरह की चेष्टाएँ करते हैं- कभी घुटनों के बल चलते हैं, कभी माँ यशोदा के बाल खींचते हैं तो कभी तोतले बोलों में नंद बाबा को ‘तात’ कहकर पुकारते हैं।
- कृष्ण चंद्रमा रूपी खिलौना लेने की जिद करते हैं।
- चंद्र रूपी खिलौना न मिलने पर अपनी माँ को तरह-तरह की धमकियाँ देते हैं- दूध नहीं पिऊँगा, चोटी नहीं गुँथवाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा, तेरा पुत्र नहीं कहाऊँगा ।
- यशोदा कृष्ण के कान में कहती है कि चंद्रमा से भी सुंदर तेरी दुल्हनियाँ लाकर दूँगी।
- कृष्ण कसम खाकर तुरंत विवाह करने की बात करने लगे।
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