1. प्रभा को थप्पड़ मारने के बाद समर की क्या स्थिति थी ?

उत्तर – प्रभाको थप्पड़ मारने के बाद समर का हृदय ग्लानि के भाव से भरा था वह अन्दर हो अन्दर पश्चाताप की आग में जल रहा था घर से बाहर निकलते समय वह डरता-डरता बाहर निकलता कि यदि कही सामने प्रभा दिख गई और उसके गाल पर थप्पड़ का निशान दिख गया तो मैं उसका सामना कैसे करंगा समर सोचता कि मुझसे उस पर हाथ उठा कैसे ? मैं कैसे यह जंगलीपन की हरकत कर सका? परन्तु प्रभा को भी ऐसा नहीं करना चाहिए था उसे मिट्टी के बेर और गणेश जी में कोई अन्तर नहीं दिखा । परन्तु अनेक तर्को के बाद भी उसके मन से आवाज आती कि हाथ उठाना ठीक नहीं है।

2. अमर की किस शिकायत पर अम्मा प्रभा पर नाराज़ थी। अम्मा ने क्या कहा?

उत्तर – अमर ने जब अम्मा से कहा कि देखो अम्मा दस बजने को आए हैं और खाना अभी तक तैयार नहीं हुआ तो कब पढ़ा जाए और कब खाया जाए। इस पर अम्मा ने प्रभा पर व्यंग्य करते हुए कहा कि तुम्हें चाहे देर हो जाए या सवेर वह तो धीरे-धीरे ही करेंगी। अम्मा कहने लगी कि जिस काम का पता है कि तुम्हें ही करना है और रोज़ करना है फिर उस काम में इतनी देरी क्यों करनी हुई। जो काम तुम्हें ही करना है तो तुम उसे संभाल क्यूँ न सको। इस प्रकार अम्मा ने प्रभा को खूब बातें सुनाई।

3. बाबूजी प्रभा से किस बात पर नाराज़ थे?

उत्तर- बाबूजी ने जब देखा कि जाड़े के दिनों में प्रभा छत पर सिर धो रही है तो बाबूजी इस बात पर बहुत नाराज़ हुए कि इसे तो कोई शर्म है ही नहीं परदा नहीं करना तो मत करे परन्तु बेशरमी की तरह छत पर सिर तो न धोए जाड़े के दिनों में सभी लोग धूप सेंकने के लिए छत पर चढ़े होते हैं तो क्या इसे दिखा नहीं कि आस-पास खड़े लोग क्या कहेंगे ऊपर से मुन्नी को भी नहीं पता चलता जो बैठी-बैठी सिर पर पानी डाल रही थी इस प्रकार बाबूजी प्रभा से नाराज़ थे।

4. समर को ऐसा क्यों महसूस होता था कि ‘मेरी संवेदनशीलता और महसूस करने की शक्ति धीरे-धीरे या तो समाप्त या सुन्न होती चली जा रही है।

उत्तर- समर को ऐसा इसलिए महसूस होता क्योंकि उसे अब लगता कि कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है जिस पर सोचा जा सके। उदाहरण के लिए समर का सारा काम अब प्रभा करती लेकिन समर इन सबसे तटस्थ रहता। रात को लोटा भरकर पानी रख जाती, कभी भाईमाहब या बाबूजी के लिए गुड़ की चाय बनती तो समर के लिए रख जाती। बिना सोचे कि कौन रख गया, कौन लाया वह उसे पी जाता खाना भी अधिक प्रभा ही बनाती वह खुद ही अब समर को परीसती। अब समर को भी झिझक नहीं होती। जैसे मशीन से काम लिया जाता है उसी प्रकार प्रभा मशीन की तरह काम करती परन्तु प्रभा के द्वारा समर के लिए किए गए सभी कार्यों के प्रति समर के मन में कोई प्रेम का भाव नहीं आता। इसी कारण उसे लगता मानो उसकी संवेदनशीलता और महसूस करने की शक्ति धीरे-धीरे समाप्त या सुन्न होती जा रही है।