1.दिवाकर ने पूछा था, “काम करोगे?” “हाँ-हाँ, मिला कुछ!” मैं बेचैनी से उठ खड़ा हुआ।“मिला तो सही, लेकिन बहुत दूर है,” दिवाकर ने बताया, “यों समझो कि शहर के दूसरे सिरे पर है।”“यार, तुम बताओ तो सही । तुम शहर की बात कहते हो, मैं दुनिया के दूसरे सिरे पर चला जाऊँगा।” मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा।“शर्त यह है कि थर्ड-इयर ज्वॉइन करोगे।”“हाँ-हाँ यार, करूंगा। तू बोल तो सही।” मैं झुंझलाकर भी मुस्करा उठा। “तो सुनो, काम है एक प्रेस में प्रूफ-रीडिंग का। सुबह पाँच से ग्यारह तक का वक्त तय कर आया, ताकि वहाँ से सीधे कॉलेज जाने में सुविधा हो।”

क) दिवाकर ने क्या पूछा ?

उत्तर – दिवाकर ने समर से पूछा काम करोगे क्या ?

ख) दिवाकर ने समर ने क्या बताया ?

उत्तर – दिवाकर ने बताया कि एक काम मिल तो गया है लेकिन बहुत दूर है। यू समझो कि शहर के दूसरे सिरे पर है।

ग) समर ने दिवाकर को क्या कहा ?

उत्तर – समर ने कहा तुम शहर की बात करते हो मैं तो दुनिया के दूसरे सिरे पर काम के लिए चला जाऊँ।

घ) दिवाकर ने कौन सा काम बताया ?

उत्तर – दिवाकर ने जो काम बताया यह प्रूफ-रीडिंग का था सुबह पाँच से ग्यारह बंज तक का समय था।

2.”पहले बता तो सही कि है कितनी…”पचहत्तर, एक-दो महीने बाद सौ कराया जा सकता है। लेकिन तू ऐसे बेचैन क्यों हो उठा ?” वह बच्चों जैसी अधीरता पर हँस पड़ा। “बहुत है, बहुत है, दिवाकर”………. तू नहीं जानता मैं कितना परेशान हूँ घर में एक पल का चैन नहीं मिलता-” और मन में जैसे एक ज्वार उमड़ लगा, “कब चलोगे? चलो, अभी चलें न।”

क) दिवाकर ने काम की क्या तनख्वाह बताई।

उत्तर – दिवाकर ने काम की तनख्वाह पचहत्तर रुपये बताई |

ख) समर ने क्या कहा ?

उत्तर – समर ने कहा- बहुत है, बहुत है दिवाकर यह हो जाए तो मेरा उद्धार जाएगा।

ग) यह हो जाए, दिवाकर मेरा तो उद्धार हो जाए वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने दिवाकर से नौकरी मिलने की खुशी में कहा।

घ) समर के मन में क्या ज्वार उड़ रहा था।

उत्तर – समर के मन में ज्वार उठ रहा था कि दिवाकर वहाँ कब चलोगे- कब चलोगे अभी चले।

3.उनकी कुछ बातें मेरे कानों में पहुंच रही थीं और कुछ ऊपर ही रह जाती थी। शायद मेरी मनः स्थिति ये समझ गए थे। बोले, “आपको मेरी बात तकलीफ़ पहुंचा रही है?” “नहीं-नहीं, क्यों, आपको ऐसा क्यों लगा?” “मुझे लगा आपको शायद कुछ परेशानी…” “बात यह है… बात यह है….” मैंने हकलाकर बड़ी मुश्किल से कहा, “मैं इस समय जरा जल्दी में था। घर में कुछ काम है। वैसे आपकी बातें इतनी रोचक हैं कि जाने को मन नहीं करता। बहुत नई बातें है, इसलिए चौकाती जरूर हैं।”

क) समर किससे बात कर रहा है?

उत्तर – समर शिरीष भाईसाहब से बात कर रहा था।

ख) उन्होंने क्या पूछा ?

उत्तर – उन्होंने पूछा आपको मेरी बात तकलीफ दे रही है क्या?

ग) समर ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – समर ने कहा, नहीं-नहीं, दरअसल मुझे जरा जल्दी है, घर में कुछ काम है।

घ) जाने को मन नहीं करता इस बात का समर ने क्या कारण बताया ?

उत्तर – समर ने कारण बताया कि आपकी बातें नई होती है बार-बार चौकाती जरूर है। और रोचक होती है।

4.लेकिन शीघ्र ही सारी खुशी चिंता में बदल गई। इस तरफ तो मैंने सोचा ही नहीं था। यह प्रभा को दूँगा कैसे? सचमुच यह तो बड़ी भारी समस्या है। सबके सामने दूँगा तो अच्छा नहीं लगेगा। अम्मा और भाभी बुरा मानेंगी, सो अलग। हाँ यों तो हो सकता है कि धोती सीधे अम्मा को जाकर दूं। कहूँगा, अम्मा धोती तो तुम्हारे ही लिए लाया हूँ। समझ तो जाएँगी। अभी-अभी तो धोती को लेकर इतनी बातें हुई हैं। वे खुद ही दे देंगी। हाँ, यही ठीक है। दुनिया भर के झंझटों से बच जाऊँगा। हमारे यहाँ भी जरा-जरा सी बातों पर कितनी चख-चख होती है।

क) समर की खुशी चिंता में क्यों बदल गई ?

उत्तर – क्योंकि समर सोचा कि वह साड़ी प्रभा को सबके सामने देगा कैसे।

ख) समर को क्या चिंता थी ?

उत्तर – समर को चिन्ता थी कि यदि वह सबके प्रभा को देता है तो अम्मा और भाभी बुरा मान जाएगी।

ग) समर ने क्या उपाय सोचा ?

उत्तर – समर ने उपाय सोचा कि वह धोती सीधा अम्मा को जाकर देगा, कहूँगा। तुम्हारे लिए लाया हूँ, वह समझ जाएँगी अभी-अभी तो धोती की बात हुई थी। वह खुद ही प्रभा को दे देंगी।

घ)“हमारे यहाँ तो जरा-जरा सी बातों पर कितनी चख-चख होती है” यह वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने कहा।

1.दिवाकर ने समर को क्या काम दिलाया ? समर की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर – दिवाकर ने समर को प्रूफ रीडिंग का काम दिलाया जिसकी तनख्वाह पचहत्तर रुपये थी दिवाकर ने समर को यह भी बताया कि एक दो महीने बाद तनख्वाह सौ कराई जा सकती है बस जरा शहर से दूर है तुम्हें जाने में तकलीफ होगी। समर ने इस पर खुशी जाहिर करते कहा कोई बात नहीं समर काम के लिए में शहर से दूर क्या दुनिया के दूसरे कोने तक जा सकता हूँ, समर का मन खुश से आनन्द से भर गया था उसने दिवाकर का बहुत बहुत धन्यवाद किया। उसने कहा दिवाकर तुमने मुझे बचा लिया, तुम नहीं जानते हमारे घर को हालत क्या है।

2.समर को घर जाने की जल्दी क्यों थी, समर प्रभा के लिए क्या लेकर गया उसे प्रभा को देने में क्या समस्या थी?

उत्तर – समर को घर जाने की जल्दी इसलिए थी ताकि वह जल्दी से घर जाकर प्रभा को बता सके कि उसे नौकरी मिल गई है वह जल्दी से घर पहुँचना चाहता था वह प्रभा को खुशी को भी देखना चाहता था वह जाते समय प्रभा के लिए एक साड़ी ले गया परन्तु अब समस्या यह थी कि वह साड़ी प्रभा को घरवालों के सामाने दे कैसे। यदि वह अम्मा, भाभी जी के सामने देगा तो उन्हें बुरा लगेगा फिर समर ने एक उपाय सोचा कि वह साड़ी जाकर अम्मा को दे देगा और वह प्रभा को दे देगी |