1. उस दिन बाबू जी प्रभा पर क्यों गुस्सा थे ।

उत्तर- बाबू जी को प्रभा का छत पर जाना अच्छा नहीं लगता था उस दिन प्रभा छत पर दाल बीनने को चली गई बाबू जी ने देख लिया तो घर आते कि प्रभा पर गुस्सा निकालने लगे – कि दाल छत पर ही बीनेगी क्या ऐसे ही उस दिन छत पर बाल्टी ले जाकर सिर धोया जा रहा था हमेशा गुँगी की तरह मनहूस घूमता रहती है। कुछ समझ में ही नहीं आता इसे, मुझे यह बातें पसन्द नहीं है, कान खोलकर सुन लो, जाड़े के दिन है बीस आदमी छत पर धूप खाने के बहाने ताक-झांक करते हैं। बहू कायदे में रहा करो

2. समर प्रभा को रोते देख किस भाव से ग्रस्त हो गया और क्यों ?

उत्तर- समर प्रभा को रोते देख पश्चाताप के भाव से भर गया उसे उस दिन महसूस हुआ कि उसने प्रभा के साथ अब तक जो व्यवहार किया वह उचित नहीं था उसे लगा कि लाड़-प्यार से पाली गई इस इकलौती लड़की पर मैंने क्या-क्या कहर नहीं तोड़े, कभी पल भर के लिए भी नहीं सोचा कि इसमें भी जान है इसे भी कोई चीज़ दुख या सुख पहुँचाती है। इसकी भी कुछ आकांक्षाएँ हैं। मेरे मन में एक बार भी नहीं आया कि यह हमारी खरीदी गुलाम थोड़ा न है जो रात-दिन गुलामों की तरह काम करती रहे इस प्रकार समर के मन में प्रभा के प्रति अपने द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर पश्चाताप का भाव था।