1. समर के मन की स्थिति का चित्रण करें ?

उत्तर- समर को शादी के समय बजाई जाने वाली शहनाईयाँ, ऐसे प्रतीत हो रही थी मानों कोई तूफान उसके कानों में गूंज रहा हो उसकी सुहागरात आई और समाप्त भी हो गई। प्रभा जँगले के पास खड़ी रही, समर के कमरे में जाने पर उसने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की जिस कारण समर और परेशान हो गया वह कमरे से उठकर बाहर आने लगा तो सोचा शायद प्रभा अब उसे रोक लेगी और उसका हाथ पकड़ लेगी परन्तु जब प्रभा ने ऐसा भी न किया तो समर को अपना घोर अपमान महसूस हुआ और वह कमरे से बाहर आ गया इस प्रकार समर का मन बहुत दुखी था

2. समर को अपना अपमान क्यों महसूस हो रहा था ?

उत्तर- जब कमर में जाने पर भी प्रभा ने समर के प्रति कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। समर ने सोचा कि वह उसका स्वागत करेगी परन्तु ऐसा कुछ न हुआ तो समर को महसूस हुआ क्या यह उसका अपमान नहीं है, उसने कमरे से उठकर जाने के बारे में सोचा कि शायद तब प्रभा उसे रोकेगी परन्तु जब ऐसा भी नहीं हुआ तो समर को अपना अपमान महसूस हुआ।

3. समर कमरे आने से पहले प्रभा के बारे में क्या सोचता है ?

उत्तर- कमरे में आने से पहले समर सोच रहा था कि प्रभा सभी विवाहित नव-वधू की तरह गठरी बनी होगी, उसी साज-सज्जा से मेरा स्वागत करेगी। परन्तु जब समर कमरे में पहुँचा तो प्रभा वैसे ही सजी-धजी खड़ी थी परन्तु वह जँगले के पास जाकर खड़ी थी। उसने समर के प्रति कोई भाव प्रकट नहीं किया।

4. समर की नारी के बारे में क्या विचारधारा थी।

उत्तर- समर उन हजारों-लाखों लड़कों की तरह नहीं जो लड़कियों के पीछे-पीछे भागा करते हैं वह उन लड़कों की तरह नहीं है जो हर चलती-फिरती लड़की को स्वर्ग का फूल समझते हैं और उनकी आत्माएं उनके लिए तड़पती है। समर का रास्ता ऐसे लड़कों से बिल्कुल अलग था वह कहता – नारी अंधकार है, नारी मोह है, नारी माया है, नारी देवत्व की ओर उठते मनुष्य को गहरे अंधे कुओं में डाल देती है नारी पुरुष की सबसे बड़ी कमज़ोरी है।