जामुन का पेड़ (Summary)

जामुन का पेड़ कृष्ण चंदर की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है | यह एक प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कथा है | कहानी में सरकारी विभागों की उत्तरदायित्वहीनता तथा लापरवाही पर करारा प्रहार किया गया है | एक आम आदमी अपनी समस्याओं को लेकर जूझता रहता है , परंतु सरकारी विभागों द्वारा उस पर समयानुसार कोई फैसला नहीं लिया जाता |रात में चले तेज आँधी के कारण जामुन का पेड़ सचिवालय के लॉन में गिर गया, जिसके नीचे एक आदमी दब गया था| माली ने देखा तो यह बात उसने चपरासी को बताई| धीरे-धीरे यह बात पूरे सचिवालय में फ़ैल गई| सभी जामुन के पेड़ के गिरने पर दुःख जता रहे थे, लेकिन दबे हुए आदमी के बारे कोई नहीं सोच रहा था| कुछ मनचले क्लर्कों ने कानून की परवाह किए बिना निश्चय किया कि पेड़ काटकर आदमी को निकाल लिया जाए| लेकिन सुपरिंटेंडेंट ने बताया कि मामला कृषि विभाग का है, इसलिए पेड़ को वे काट नहीं सकते| इस प्रकार मामला व्यापार विभाग से कृषि विभाग तक पहुँच जाता है| कृषि विभाग वाले मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंप देते हैं क्योंकि जामुन का पेड़ फलदार था| तभी सबको पता चलता है कि दबा हुआ व्यक्ति शायर है| इस खबर के फैलते ही लोगों की भीड़ बढ़ने लगी और मामला कल्चरल विभाग में भेज दिया जाता है| दबा हुआ आदमी दर्द से पीड़ित था और अपने निकाले जाने के फैसले के इंतजार में था| फ़ॉरेस्ट विभाग के लोग पेड़ काटने ही वाले थे, तभी पता चला कि जामुन का पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमन्त्री ने लगाया था और इसे काटने से दो राज्यों के संबंध बिगड़ जाते| इसलिए आदेश को रोक दिया गया| प्रधानमंत्री दौरे से वापस आए तो उन्होंने इस मामले की अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी स्वयं ली| इस प्रकार पेड़ काटने की अनुमति मिल गई| लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी| दबा हुआ आदमी मर चुका था और उसकी जीवन की फाइल बंद हो चुकी थी| इस प्रकार, सरकारी आदेश और उसकी संवेदनहीनता के आगे एक व्यक्ति अपने जीवन-संघर्ष में हार गया था|

कहानी का उद्देश्य

जामुन का पेड़ कहानी में सरकारी विभागों की कार्य पद्धति पर तीखा प्रहार किया गया है | आज के समय में आम नागरिक का कोई कार्य शीघ्र तथा सरलता से पूरा नहीं होता अधिकारी वर्ग अपना उत्तरदायित्व गंभीरता से वहन नहीं करते | वे एक दूसरे विभागों पर कार्य को डालते रहते हैं | दो घंटे के कार्य में अनेक दिन लग जाते हैं | साधारण व्यक्ति सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते हुए थक जाता है | जब कार्य पूर्ण होने की स्थिति आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है | जैसे इस कहानी में जब पेड़ को काटने का निर्णय होता है , तब तक वह आदमी संसार को छोड़ चुका होता है |

शीर्षक की सार्थकता

लेखक कृष्ण चंद्र की कहानी जामुन का पेड़ एक पेड़ को लेकर ही लिखी गई है | कहानी के आरंभ में जामुन का पेड़ तेज आँधी में गिर जाता है उसके नीचे एक व्यक्तित्व दबा हुआ है | पेड़ को हटाने के लिए एक लंबी चौड़ी लिखित कार्यवाही होती है | जो तीन-चार दिनों तक चलती रहती है और अंत में पेड़ को हटाने का निर्णय भी हो जाता है अतः इस पेड़ को आधार बनाकर सरकारी तंत्र पर कटाक्ष किया गया है , अत: शीर्षक सर्वथा उपर्युक्त है |

चरित्र-चित्रण

आदमी (कवि)

सेक्रेटेरियट के लॉन में जामुन के पेड़ के नीचे दबा आदमी कवि है, जो ओस’ उपनाम से प्रसिद्ध है। इसका ‘ओस के फूल’ नामक गद्य-संग्रह भी प्रकाशित हुआ है। वह चाहता है कि उसे शीघ्र ही पेड़ के नीचे से निकालकर उसके प्राणों की रक्षा की जाए। वह बार-बार दयनीय अवस्था में यही कहता है कि वह जीवित है, किंतु उसकी कोई सुनवाई नहीं। उसकी समस्या फाइलों में बंद होकर अनेक सरकारी विभागों में घूमती रहती है। धीरे-धीरे उसकी शारीरिक स्थिति बिगड़ती जाती है। अंततः उसकी फाइल पर अंतिम निर्णय लिया जाता है. परंतु तब तक वह संसार से ही विदा हो चुका होता है।

माली

माली एक दयावान साधारण सरकारी कर्मचारी है। वह पेड़ के नीचे दबे आदमी की सहायता करना चाहता है, किंतु चाहते हुए भी वह असमर्थ ही रहता है। सरकारी कार्य-पद्धति के सामने वह विवश है। रात के समय वह पेड़ के नीचे दबे आदमी को भोजन कराता है, उसे सांत्वना प्रदान करता है कि उसको निकालने का प्रयास हो रहा है । इस व्यक्ति के निजी संबंधी के विषय में भी उससे पूछता है, ताकि उन्हें सूचित किया जा सके। इस प्रकार माली में मानवीयता की भावना है।

अवतरण संबंधित प्रश्न – उत्तर

(क) “माली दौड़ा-दौड़ा चपरासी के पास गया, चपरासी क्लर्क के पास ।”

(i) माली के दौड़ने का क्या कारण था? उसने किसे क्या बताया ?

उत्तर रात में बड़े जोर की आँधी आई थी सचिवालय के लॉन में एक जामुन का पेड़ गिर गया था जिसके नीचे एक आदमी दबा पड़ा था । यही बताने के लिए वह दौड़ा-दौड़ा क्लर्क के पास गया।

(ii) दबे हुये आदमी को देखकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई? उत्तर माली ने क्लर्क को बताया, क्लर्क सुपरिटेंडेंट के पास गया । वे सब तुरन्त लॉन में आये।

उत्तर – उसमें एक क्लर्क जामुन के पेड़ का जिक्र कर रहा था तो दूसरा जामुन के फलों के रसीलेपन की बात कर रहा था तो कोई फलों को अपने घर ले जाने की बात कर रहा था पर उस दबे आदमी को निकालने की बात कोई नहीं कर रहा था।

(iii) कौन दबे आदमी को किस प्रकार निकालना चाह रहा था? क्या उसे सफलता मिली ?

उत्तर – माली दबे हुए आदमी को पेड़ से अलग करके निकालना चाह रहा था। पर उसे सफलता नहीं मिली क्योंकि सुपरिटेंडेंट साहब ने ऐसा करने से रोकते हुए कहा कि अन्डर सेक्रेटरी से इसकी इजाजत लेनी पड़ेगी।

(iv) मनचले क्लकों ने इस समस्या को किस प्रकार सुलझाना चाहा? क्या वे ऐसा कर सके ?

उत्तर – मनचले क्लर्कों ने इस समस्या को स्वयं सुलझाना चाहा वे पेड़ को अपने आप हटा देने का निश्चय कर रहे थे तभी साहब ने आकर उन्हें रोका क्योंकि पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है। इसलिए वही इसका निर्णय लेंगे।

(ख) “मगर मुझे इस पेड़ के नीचे से तो निकालो”- दबे हुए आदमी ने कराह कर कहा।

(i) पेड़ के नीचे दबे आदमी ने उपर्युक्त कथन किससे कहा ?

उत्तर : उस व्यक्ति ने उपर्युक्त कथन साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी से कहा।

(ii) उस आदमी की बात सुनकर श्रोता ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर : पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की बात सुनकर साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी ने कहा-“अभी बंदोबस्त करता हूँ। यह कहकर उसने अपने विभाग में रिपोर्ट की।

(iii) ‘ मैं अभी जीवित हूँ ‘- पेड़ के नीचे दबे आदमी ने यह कब और क्यों कहा ?

उत्तर : साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी ने पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति से जब यह कहा कि हम यह कर सकते हैं कि यदि तुम मर जाओ तो तुम्हारी बीवी को वजीफ़ा दे सकते हैं, तो उसने सेक्रेटरी से उपर्युक्त वाक्य कहा।

(iv) उस आदमी की बात सुनकर श्रोता ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर : पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की बात सुनकर साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी ने अपनी विवशता बताते हुए कहा कि उनका विभाग केवल कल्चर से संबंधित है। चूँकि पेड़ काटने का मामला कलम-दवात से नहीं, आरी-कुल्हाड़ी से संबंधित है इसलिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है।