” दीपदान ” सार (Summary)

दीपदान एकांकी की कथावस्तु चित्तौड़ की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है |
प्रस्तुत एकांकी में डॉ रामकुमार वर्मा जी ने राजपूताने की वीरांगना पन्ना धाय के अभूतपूर्व बलिदान का चित्रण किया है | एकांकी ऐतिहासिक घटना पर आधारित है | महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था , पर वह अभी केवल 14 वर्ष का था इसलिए महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया । धीरे-धीरे बनवीर राज्य को पूरी तरह हड़प लेने की योजना बनाने लगा | उसने एक रात्रि में दीपदान के आयोजन के बहाने नृत्य का आयोजन करवाया तथा प्रजाजनों को इस नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय सिंह की हत्या की योजना बनाई , परंतु कुँवर की देखभाल करने वाली धाय माँ पन्ना को बनवीर के षड्यंत्र का पता चल गया | वह अत्यंत सावधानी तथा चतुराई से कुंवर को बारी – कीरत के टोकरे में छिपाकर राजभवन से बाहर भेज देती है तथा कुंवर की शैय्या पर अपने इकलौते पुत्र चंदन को सुला देती है | बनवीर ने पहले महाराणा विक्रमादित्य की हत्या की तथा बाद में कुंवर उदयसिंह को मारने के उद्देश्य से उदय सिंह के कक्ष में प्रवेश किया | बनवीर ने शैय्या पर सोए चंदन को उदयसिंह समझकर उसकी हत्या कर दी | इस प्रकार पन्ना ने अपने पुत्र की बलि चढ़ाकर मेवाड़ के सिंहासन के उत्तराधिकारी की रक्षा की |

एंकाकी का उद्देश्य / संदेश


डाँ0 रामकुमार वर्मा द्वारा रचित दीपदान शीर्षक एंकाकी में राजपूताने की वीरांगना पन्ना धाय के अभूतपूर्व बलिदान की भावना तथा स्वामिभक्ति को इस एकांकी के द्वारा अभिव्यक्त किया है | पन्नाधाय ने अपने कलेजे के टुकड़े अपने पुत्र चंदन का बलिदान करके अपने स्वामी महाराणा साँगा की धरोहर उदयसिंह की रक्षा करके जो अपूर्व आदर्श प्रस्तुत किया उसी को दर्शाना लेखक का उद्देश्य है |इस एकांकी द्वारा एकांकीकार कर्तव्यनिष्ठा , कर्तव्य परायणता तथा स्वामिभक्ति पन्ना के माध्यम से यह संदेश देता है कि राष्ट्रप्रेम पुत्रप्रेम से बड़ा और महान है | पन्ना जैसी स्त्रियाँ अपने दृढ़ चरित्र से इसे सत्य सिद्ध करती है | इस प्रकार लेखक को अपने उद्देश्य में पूर्ण सफलता मिली है |

शीर्षक की सार्थकता


किसी भी रचना का शीर्षक संचित उद्देश्य पूर्ण कहानी के कलेवर को घेरे हुए एवं जिज्ञासा पूर्ण होना चाहिए | एकांकी का शीर्षक सोद्देश्य एवं सार्थक है | एकांकी का समस्त कथानक दीपदान शीर्षक के चारों ओर घूमता है | एकांकी में घटित समस्त घटनाओं का संबंध चित्तौड़ में होने वाले दीपदान से अवश्य है | बनवीर ने मयूर पक्ष नामक कुंड में तुलजा भवानी की पूजा के लिए दीपदान का आयोजन किया तथा पन्नाधाय के पुत्र चंदन को उदयसिंह समझकर यमराज को उसका दीपदान किया | पन्ना कुँवर उदयसिंह की रक्षा के लिए अपने कुल के दीपक चंदन का दान कर देती है | इस प्रकार शीर्षक अत्यंत उपर्युक्त एवं सटीक है |

चरित्र चित्रण


पन्नाधाय का चरित्र चित्रण


एकांकी के प्रधान नायिका पन्ना धाय है | वह महाराणा के छोटे पुत्र उदयसिंह की धाय माँ तथा संरक्षिका है | वह अत्यंत ममतामयी , कर्तव्यनिष्ठ , स्वामिभक्त , बुद्धिमती तथा दूरदर्शी है | कुँवर उदयसिंह के प्राणों की रक्षा के लिए वह अपने इकलौते पुत्र चंदन की बलि चढ़ा देती है | वह अपने हृदय पर पत्थर रखकर अपने कर्तव्य का पालन करती है | उसके अंदर किसी प्रकार का भी लालच नहीं है | उदय सिंह का पालन – पोषण तथा उसके जीवन की रक्षा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है |

राजभक्ति पन्नाधाय में अद्वितीय राजभक्ति है | राजघराने के सभी लोग भूल जाते है कि उदयसिंह राज्य का वास्तविक उत्तराधिकारी है परंतु उसकी राजभक्ति सदैव सजग रहती है वह महाराणा सांगा का नमक खाकर उसे धोखा नहीं दे सकती है |

विवेक और दूरदर्शिता – पन्ना मे विवेक और दूरदर्शिता है अपने पुत्र का बलिदान अपनी इच्छा से कर वह अपने स्वामी के पुत्र की रक्षा करती है |

साहसी – पन्ना धीर साहसी तथा निर्भीक राजपूत वीरांगना है | वह उदय सिंह को नृत्य प्रेमी न बनाकर युद्ध प्रेमी बनाना चाहती है |

अपूर्व त्याग – पन्ना धाय का त्याग भारतीय इतिहास का अपूर्व त्याग है | कुंवर उदयसिंह के प्राणों की रक्षा के लिए वह अपने इकलौते पुत्र चंदन की बलि चढ़ा देती है |

वह कर्तव्यनिष्ठ तथा एक आदर्श भारतीय नारी है | वह एक वीरांगना भी हैं जो बनवीर जैसे दुष्ट से मुकाबला करने में भी नहीं हिचकती है |तथा अपनी वाकपटुता से बनवीर को निरुत्तर कर देती हैं |

सोना का चरित्र – चित्रण


सोना दीपदान एकांकी की दूसरी प्रमुख पात्र है | उसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है –

सरल स्वभाव – सोना स्वभाव से सरल है वह राज महल में होने वाले षडयंत्रों से अनभिज्ञ है | पन्ना के सम्मुख नृत्य की बात करना , बनवीर द्वारा कही गई बातों को खेल-खेल में पन्ना को बता देना , मयूरपक्ष कुंड उत्सव की बातों का वर्णन करना उसके सरल स्वभाव के ही प्रमाण है |

अत्यंत सुंदर – सोना रावल स्वरूप सिंह की अत्यंत रूपवती लड़की है | उसकी आयु सोलह वर्ष है वह कुंवर उदय सिंह के साथ खेलती है तथा आयु में उससे दो वर्ष बड़ी है |

शिष्टाचारी एवं वाकपटु – सोना बोलने में निपुण व राजमहल के शिष्टाचार से परिचित है उसके शिष्टाचार व वाकपटुता का उस समय पता चलता है जब वह महल में कुंवर उदय सिंह को दीपदान उत्सव के लिए लेने आती है महल में प्रवेश कर वह पन्नाधाय को प्रणाम करती है और उनसे उदयसिंह के विषय में पूछती है पन्ना के कहने पर वे थक गए हैं सोना चाहते हैं “तब वह उत्तर देती है मैं भी तो सोना हूंँ ‘”

अस्थिर – सोना स्वयं को स्थिर नहीं रख पाती वह भ्रमित से दिखाई पड़ती है क्योंकि वह एक ओर कुंवर उदयसिंह से प्रेम करती है और दूसरी ओर बलवीर के प्रलोभन में आ जाती है | सोना अल्लड , सीधी-सादी सरल हदया है |

बनवीर

बनवीर एक महत्वकांक्षी युवक है । वह महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज का दासीपुत्र है। कुँवर उदयसिंह के अल्पवयस्क (कम आयु का) होने के कारण वह राज्य का संरक्षक है लेकिन लालच में अन्धा होकर वह चित्तौड़ के राज्य को हथियाना चाहता है। वह अत्यंत क्रूर निर्दय एवं दुष्ट प्रवृत्ति का है |इसी लालच के कारण उसने पहले महाराणा विक्रमादित्य की हत्या की और अब वह कुँवर उदयसिंह को अपने रास्ते से सदा के लिए हटाना चाहता है। इसलिए वह असमय ही मयूर पक्ष कुण्ड में दीपदान महोत्सव का आयोजन करता है | पन्ना की स्वामी-भक्ति तथा त्याग के कारण कुँवर उदयसिंह की जगह उसका अपना पुत्र चन्दन मार दिया जाता है। बनवीर यह समझता है कि उसने कुँवर उदयसिंह को मार दिया है।इस प्रकार कह सकते हैं कि
बनवीर अत्यंत चतुरऔर कूटनीतिज्ञ , लालची , क्रूरता कृतघ्नता, स्वार्थ जैसे अनेक दुर्गुण हैं। वह एक नीच और अधम इन्सान है जो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है ।

अवतरण  से संबंधित प्रश्न उत्तर

(क) “आज कुसमय नाच-रंग की बात सुनकर मेरे मन में शंका हुई थी। इसलिये मैंने कुँवर को वहाँ जाने से रोक दिया था। संभव था कि कुँवर वहाँ जाते और बनवीर अपने सहायकों से कोई काण्ड रच देता।”

प्रश्न – उपर्युक्त कथन का वक्ता कौन है ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर – उपर्युक्त कथन की वक्ता पन्ना है। वह कुँवर उदय सिंह का संरक्षण करने वाली धाय है। वह चंदन की माँ भी है जिसकी आयु अभी 30 वर्ष है।

प्रश्न – नाच-रंग का आयोजन किसने और किस उद्देश्य से किया था ?

उत्तर – नाच-रंग का आयोजन बनवीर ने करवाया था। वह महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज का दासी पुत्र था। उसकी आयु लगभग 32 वर्ष थी। उसने नाच-रंग का आयोजन करवाया था ताकि कुँवर उदय सिंह की हत्या की जा सके।

प्रश्न – बनवीर कौन है ? उसका परिचय देते हुए उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।

उत्तर – बनवीर प्रस्तुत एकांकी का खलनायक है। वह महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज का दासी से उत्पन्न पुत्र था। वह क्रूर, अत्याचारी तथा दुष्ट था। वह महाराणा विक्रमादित्य की हत्या करता है और राजसिंहासन पाने के लिए उदयसिंह के प्राण लेने की योजना बनाता है।

प्रश्न – ‘दीपदान’ एकांकी के शीर्षक की सार्थकता बताइए तथा एकांकी के माध्यम से एकांकीकार ने क्या शिक्षा दी है ?

उत्तर – प्रस्तुत एकांकी में डॉ० रामकुमार वर्मा ने राजपूताने की वीरांगना पन्ना धाय में अभूतपूर्व बलिदान का चित्रण किया है। इस ऐतिहासिक एकांकी द्वारा राष्ट्र-भक्ति तथा राष्ट्र-प्रेम का चित्रण किया गया है। सच्चे देशभक्त पन्ना धाय की तरह अपने पुत्र की बलि चढ़ाकर भी देश के हित की रक्षा करते हैं।

(ख) ” तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे | चारों तरफ जहरीले सर्प घूम रहे हैं | किसी समय भी तुम्हें डस सकते हैं |”

प्रश्न – वक्ता एवं श्रोता का परिचय देते हुए बताइए कि यहाँ कौन किसको रात में अकेले जाने से मना कर रहा है?

उत्तर – वक्ता यहाँ पन्ना और श्रोता उदय सिंह है | पन्ना धाय माँ है और वह खींचो जाति की राजपूतानी है | कुँवर उदयसिंह का संरक्षण करने वाली धाय माँ की आयु तीस वर्ष है

प्रश्न – ” चारों तरफ जहरीले सर्प घूम रहे हैं ” – वक्ता का आशय स्पष्ट कीजिए |

उत्तर – यहाँ जहरीला सर्प बनवीर है जो महाराणा के भाई पृथ्वीराज का दासी पुत्र है |

प्रश्न – वक्ता श्रोता के प्रति हमेशा चिंतित क्यों रहती है? समझाइए

उत्तर – वक्ता पन्ना धाय श्रोता उदयसिंह के लिए हमेशा इसलिए चिंतित रहती है क्योंकि बनवीर महाराणा विक्रमादित्य की पहले ही हत्या कर चुका है और अब वह कुँवर उदय सिंह की हत्या करके चित्तौड़ का राज्य प्राप्त करना चाहता है |

प्रश्न – प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक का औचित्य स्पष्ट कीजिए |

उत्तर – प्रस्तुत एकांकी का शीर्षक दीपदान सर्वथा सटीक एवं उचित है | एकांकी का आरंभ तुलजा भवानी के मंदिर में दीपदान से आरंभ होता है तथा
अंत में पन्ना अपने जीवन के दीप चंदन का दान कुँवर उदयसिंह को बचाने के लिए करती है | इस प्रकार नगर की स्त्रियों ने अपनी खुशी के लिए दीपदान किया , बनवीर ने राज्य पाने के लिए और पन्ना ने कुँवर उदयसिंह को बचाने के लिए दीपदान किया | इस प्रकार शीर्षक सर्वथा उचित एवं सटीक है |