” बहू की विदा ” सार (Summary)

प्रस्तुत एकांकी बहू की विदा श्री विनोद रस्तोगी द्वारा रचित है। इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने हमारे समाज में व्याप्त दहेज की समस्या को दर्शाया है।
इस एकांकी में कुल पाँच पात्र हैं- जीवन लाल, उनकी पत्नी राजेश्वरी, उनका बेटा रमेश, बहू कमला और प्रमोद जो कमला का भाई है। प्रमोद की बहन कमला का विवाह जीवनलाल के पुत्र रमेश के साथ होता है। प्रमोद अपनी पारिवारिक हैसियत के हिसाब से दहेज देता है। जीवनलाल आशा के अनुरूप दहेज न मिलने से चिढ़ा हुआ रहता है। विवाह के बाद पहला सावन आने पर बहू को उसके मायके भेजे जाने की एक रस्म होती है उसी रस्म को पूरी करने के लिए प्रमोद अपनी बहन कमला को विदा करने उसके ससुराल पहुँचता है परंतु कमला के ससुर जीवनलाल अपनी बहू की विदा नहीं करना चाहते। जीवनलाल के अनुसार बेटे की शादी में बहू कमला के परिवार वालों ने उनकी हैसियत के हिसाब से उनकी खातिरदारी नहीं की तथा कम दहेज दिया। इससे उनके मान पर धब्बा लगा है। अब जब तक दहेज की पूरी रकम अर्थात् पाँच हजार नहीं चुका दी जाती वह कमला को मायके विदा नहीं करेगा। प्रमोद जीवनलाल से अपनी बहन को मायके भेजने की प्रार्थना करता है और केवल लड़की वाला होने के कारण उस पर होने वाले अन्याय का विरोध करता है। इस पर जीवनलाल उसे अपनी बेटी गौरी के विवाह का उदाहरण देते हुए कहता है कि वे भी लड़की वाले हैं परंतु उसने अपनी बेटी का विवाह बड़े धूमधाम से किया। उसने अपनी बेटी के ससुराल वालों की इतनी खातिरदारी की कि सभी दंग रह गए। इसलिए लड़कीवाले होते हुए भी उनकी मूँछ ऊँची ही है। इस समय उनका बेटा रमेश अपनी बहन गौरी को विदा करवाने उसके ससुराल गया है और किसी भी समय रमेश अपनी बहन गौरी को लेकर यहाँ पहुँचता ही होगा। प्रमोद उसके बाद अपनी बहन कमला से मिलता है और उसे सांत्वना देते हुए कहता है कि वह वापस जाकर अपना घर बेच देगा और दहेज की रकम का जुगाड़ कर लेगा। इस पर कमला अपने भाई को समझाती है कि घर बेचने की बात वह बिल्कुल न करें क्योंकि अभी उसकी छोटी बहन विमला के विवाह की जिम्मेदारी उसके सिर पर है। और क्या हुआ यदि वह पहला सावन अपने मायके में न बिता पाए। यहाँ ससुराल में उसकी सास और ननद गौरी बहुत अच्छी है। गौरी के आने से तो उसे अपनी सखियों को कमी भी नहीं खलेगी। उसी समय कमला की सास राजेश्वरी प्रमोद से कहती है कि ये पाँच हजार रूपए वह जीवनलाल को देकर कमला को विदा कर ले जाय। प्रमोद पैसे लेने से इंकार कर देता है।
उसी समय रमेश बिना अपनी बहन गौरी को विदा किए घर पहुँचता है। गौरी के ससुरालवालों ने भी कम दहेज का बहाना बनाकर गौरी को विदा करने से मना कर दिया था। जीवनलाल को अपने बेटी के ससुराल वालों का रवैया अन्यायपूर्ण लगता है। उसे अपने बेटी के ससुराल वाले लोभी-लालची नजर आने लगते हैं क्योंकि उसके अनुसार उसने तो अपने जीवन भर की कमाई अपनी बेटी गौरी के ससुराल वालों को दे दी थी। दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों ने कम दहेज की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके जीवनलाल को अपना अपमान लगता है | इस घटना को देखकर जीवनलाल का हृदय परिवर्तन हो जाता है और वह खुशी – खुशी अपनी बहू को उसके भाई के साथ विदा कर देता है | जीवनलाल दहेज लोभी है, परंतु अब भूल जाता है कि वह जैसा व्यवहार अपनी बहू के साथ कर रहा है उसकी बेटी के साथ वैसा व्यवहार उसके ससुराल वाले भी कर सकते हैं | एकांकी में एक कान की कार ने बहू बेटी के अंतर को समाप्त करने को ही पारिवारिक और मानसिक स्तर पर हितकर मानकर माना है |

एकांकी का उद्देश्य / संदेश


बहू की विदा एकांकी का उद्देश्य समाज में प्रचलित दहेज प्रथा के अभिशाप पर तीखा प्रहार करना है जिसमे सबसे अधिक प्रभावित वर्तमान मध्यवर्गीय परिवार है | वर्तमान समाज में बेटी के जन्म से ही उसके विवाह के समय दिए जाने वाले दहेज को लेकर माता-पिता चिंतित रहने लगते हैं अपने स्वार्थ के अनुसार भी बेटी के विवाह पर दहेज भी देते हैं | जहाँ माता-पिता दहेज नहीं जुटा पाते वहाँ बेटियाँ प्रताड़ित की जाती हैं और यातनाएँ सहती हैं | ससुराल वाले यह भूल जाते हैं कि उनकी भी पुत्री के साथ उसकी ससुराल वाले ऐसा ही अमानवीय व्यवहार कर सकते हैं | एकांकीकार का संदेश है कि दहेज की प्रथा समूल नष्ट हो और बेटे और बेटी वाले एक दूसरे की पीड़ा को समझे | इस प्रकार एकांकीकार ने दहेज मुक्त समाज के निर्माण का संदेश दिया है |

शीर्षक की सार्थकता


बहू की विदा शीर्षक सटीक और सार्थक है क्योंकि यह एक सामाजिक कुरीति को दर्शाता है जिसे समय रहते दूर नहीं किया गया तो उसका दुष्प्रभाव हमारे समाज को खोखला बना देगा | बहू की विदा एकांकी में दहेज के लालची जीवनलाल अपने पुत्र रमेश की पत्नी को उसके पहले सावन पर मायके इसलिए नहीं भेजना चाहती क्योंकि वह पूरा दहेज नहीं लाई थी | वह बहू के भाई प्रमोद के प्रति भी कटु शब्दों का प्रयोग करता है, पर जब उसकी बेटी के ससुराल वाले भी इसी प्रकार की माँग करते हैं तो वह अपने किए पर लज्जित होकर बहू की विदा को तैयार हो जाता है | कहानी के शीर्षक से इस बात का संकेत मिलता है कि कहानी के घटनाचक्र का संबंध जीवनलाल के बेटे की बहू और उसकी पुत्री की विदा से है |

चरित्र चित्रण

जीवनलाल


जीवनलाल ‘ बहू की विदा ‘ शीर्षक एकांकी का प्रमुख पात्र है | जीवनलाल दहेज के लोभी है, इसलिए उसने अपने पुत्र रमेश की पत्नी को उसके मायके नहीं भेजना चाहता, क्योंकि वह पूरा दहेज नहीं लाई है | उसकी भी एक बेटी है वह अपने द्वारा दिए गए दहेज की प्रशंसा करता है , और बहू के भाई प्रमोद के सामने अपमानजनक बात करता है यहाँ तक कि वह स्वयं को नाकवाला कहता है | जीवनलाल का बेटा अपनी बहन गौरी को ससुराल से लेने गया हुआ है, परंतु जब उसे पता चला कि गौरी के ससुराल वाले भी पूरा दहेज न दिए जाने के कारण उसे विदा नहीं करते हैं तो जीवनलाल लज्जित होता है और बहू की विदाई के लिए तैयार हो जाता है |

राजेश्वरी

राजेश्वरी जीवनलाल की पत्नी है | उसका स्वभाव अपने पति से सर्वथा भिन्न है | जहाँ जीवनलाल जिद्दी स्वभाव के अभिमानी और कठोर प्रवृत्ति के हैं | वहीं उनकी पत्नी राजेश्वरी धैर्यवान और ममता की मूर्ति है | वह बहू की विदाई के दिन अपने पति को बार-बार समझा रही थी परंतु पति की ज़िद के आगे उसकी एक न चली वह अपनी बहू से अत्यधिक स्नेह करती है | इसलिए प्रमोद को अपने पति से छुपा कर अपनी ओर से पाँच हजार रुपये देना चाहती है जिससे बहू की विदाई खुशी-खुशी हो जाए और उसके पति की बात भी रह जाए | वह एक माँ के हृदय की पीड़ा को समझती है क्योंकि वह भी एक माँ है जिसे अपनी बेटी गौरी के आने की प्रतीक्षा है | बहू की विदाई भली प्रकार हो जाए यही उसकी कामना है |

प्रमोद

प्रमोद कमला का भाई है | उसकी आयु 23 वर्ष है | वह पहले सावन पर अपनी बहन को ससुराल से लेने के लिए आता है | परंतु जीवनलाल दहेज कम दिए जाने के कारण कमला को विदा करने से इंकार कर देता है | जब जीवान लाला अत्यंत कटु वचन कहकर उसे आघात पहुँचाता है, तब भी वह संयम रखता है और चुप रहता है | वह अत्यंत व्यवहार कुशलता का परिचय देते हुए जीवनलाल को कमला के गौने पर सभी इच्छाएँ पूरी करने का आश्वासन देता है परंतु जीवनलाल टस से मस नहीं होता | वह अपनी बहन को भी सांत्वना देता है तथा अगली बार जीवनलाल की चोट के मरहम के साथ आने का वादा करता है |

अवतरण संबंधित प्रश्न उत्तर

(क) ” अगर तुम्हारी सामर्थ्य कम थी, तो अपनी बराबरी का घर देखते। झोंपड़ी में रहकर महल से नाता क्यों जोड़ा ? “

i) वक्ता और श्रोता कौन हैं ? वक्ता ने उपर्युक्त कथन श्रोता की किस बात के उत्तर में कहा है ?

उत्तर – वक्ता जीवन लाल है और श्रोता है-प्रमोद। जीवन लाल प्रमोद से कहता है कि यदि उसे अपनी बहन विदा करानी थी तो दहेज़ | क्यों नहीं दिया ? प्रमोद ने जब यह कहा कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार जितना हो सका, उतना हमने दिया, तो प्रमोद की यह बात सुनकर जीवन लाल ने उपर्युक्त कथन कहा।

(ii) ‘झोंपड़ी’ और ‘महल’ शब्दों द्वारा किस-किस की ओर संकेत किया गया है ? जीवन लाल ने अपने किए अपमान का उल्लेख कैसे किया ?

उत्तर – झोंपड़ी’ कहकर जीवन लाल ने प्रमोद पर व्यंग्य किया है। ‘महल’ शब्द का प्रयोग हैसियत वालों के लिए किया गया है। जीवन लाल के अनुसार जो लोग सामर्थ्यवान नहीं हैं, उन्हें सामर्थ्यवान लोगों से रिश्ता जोड़ने का सपना नहीं देखना चाहिए।

(iii) प्रमोद कौन था ? वह किसे विदा कराना चाहता था और क्यों ?

उत्तर – प्रमोद, कमला का भाई है। उसकी अवस्था 23 वर्ष है। वह अपनी बहन, जो जीवन लाल के बेटे की पत्नी है, को विदा कराने आया था क्योंकि हर लड़की का सपना होता है कि विवाह के बाद पहला सावन अपने माता-पिता के यहाँ बिताए ।

(iv) जीवन लाल ने बहू की विदा कराने के लिए क्या शर्त रखी ? उसका परिचय दीजिए ।

उत्तर – जीवन लाल बहुत लोभी व्यक्ति था। वह दहेज का लोभी था। उसने अपनी बहू कमला को उसके भाई प्रमोद के साथ विदा कराने के लिए पाँच हज़ार रुपये की माँग की जिसके अभाव में विदा कराना असंभव बताया |

(ख) रोओ मत, मैं कहता हूँ रोओ मत। इन मोतियों का मूल्य समझने वाला यहाँ कोई नहीं है। पानी से पत्थर नहीं पिघल सकता।

(i) रोने वाला कौन था ? उसके रोने का कारण स्पष्ट करते हुए, उसका परिचय दीजिए।

उत्तर – रोने वाली प्रमोद की बहन कमला थी। प्रमोद अपनी बहन को विदा कराने के लिए जीवन लाल जी के यहाँ आया था जिससे कि वह पहला सावन अपने माता-पिता के घर बिता सके परंतु दहेज का लोभी जीवन लाल अपनी बहू को दहेज़ के रूप में पाँच हजार रुपये दिए बिना विदा नहीं करना चाहता था।

(ii) वक्ता उसे किस प्रकार सांत्वना देता है और समस्या का हल किस प्रकार निकालने की बात कहता है ?

उत्तर – प्रमोद ने अपनी बहन को सांत्वना देते हुए कहता है कि वह शीघ्र ही जीवन लाल जी के लिए घाव के मरहम के रूप में पाँच हज़ार रुपये लेकर फिर आएगा और अपनी बहन को विदा कराकर ले जाएगा। इसके लिए वह अपना घर बेच देगा |

(iii) वक्ता की बात सुनकर श्रोता उसे ऐसा करने से रोकते हुए क्या कहता है ?

उत्तर – प्रमोद की बहन ने जब यह सुना कि उसका भाई मेरे ससुर जीवन लाल को पाँच हज़ार रुपये देने के लिए अपना घर बेचने की योजना बना रहा है तो उसने उसे ऐसा न करने को कहा क्योंकि एक छोटी-सी इच्छा पूरी करने के लिए इतनी बड़ी रकम चुकाना उचित नहीं। साथ ही साल दो साल में विमला का विवाह भी करना होगा, तब भी रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी।

(iv) जीवन लाल की पत्नी ने समस्या का क्या हल सुझाया ?

उत्तर – जीवन लाल की पत्नी राजेश्वरी ने जब यह सुना कि उसके पति कमला को विदा करने के बदले पाँच हज़ार रुपये माँग रहे हैं. तो वह बोली कि वह अपने पति को भली-भाँति जानती है, वे अपनी जिद्द के आगे किसी की नहीं सुनते। जब प्रमोद ने उन्हें बताया कि वे पाँच हजार रुपये की माँग कर रहे हैं, तो वह अपनी ओर से पाँच हज़ार रुपये देने का प्रस्ताव रखती है, पर कमला और प्रमोद दोनों इस. प्रस्ताव के लिए राजी नहीं हैं।