भक्तिन का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर- भक्तिन महादेवी वर्मा के रेखाचित्र भक्तिन की प्रमुख पात्र है जिसके व्यक्तित्व को रेखांकित करने में लेखिका सफल रही है।

  1. पिता की प्यारी पुत्री- भक्तिन अपने पिता की प्यारी पुत्री थी पिता का उसके – प्रति विशेष स्नेह था इसी कारण उसकी विमाता उससे ईर्ष्या का भाव रखती थी और पिता की बीमारी की खबर उसने तब भक्तिन को भेजी जब पिता की मृत्यु हो गई।
  2. दुर्भाग्य का शिकार भक्तिन– का जीवन हमेशा दुखों से ही भरा रहा। पति उसके प्रति विशेष स्नेह था परन्तु पति की मृत्यु जल्दी हो जाने पर जेठ नियों की उसके धन पर नजर रहती दो बेटियां होने पर बड़ी बेटी भी शादी । कुछ समय बाद विधवा हो गई जेठ ने अपने निकम्मे साले का विवाह वरदस्ती उसकी विधवा बेटी से करवा दिया दामाद सब धन लूटा बैठा तथा हाजन को देने के लिए लगान भी न बचा महाजन ने भक्तिन को बुलाकर उपमानित किया तो वह न सह सकी और कमाई के लिए शहर आ गई।
  3. अपरिवर्तनवादी स्वभाव – भक्तिन का स्वभाव बदलने वाला नहीं है लेखिका स्वयं स्वीकार करती है कि वह दूसरों को अपने मन के अनुसार बना लेना चाहती है परन्तु अपने सम्बन्ध में किसी प्रकार के परिवर्तन की कल्पना तक उसके लिए संभव नहीं है इसी कारण उसे आजतक शहर की हवा नहीं लग पाई।
  4. गुणी एवं दुर्गुणी – भक्तिन में गुण और दुर्गण दोनों है घर में इधर-उधर पड़े पैसों को भंडार घर की मटकी में बिना बताए रखना तो बुरा गुण है परन्तु उसके पूछने पर जब वो कहती है कि घर मेरा है। पैसा इधर-उधर पड़ा देखकर संभालकर रखने में क्या बुराई है तो यह उसका गुण प्रकट करता है।
  5. अपनत्व का भाव – भक्तिन लेखिका के प्रति अपनत्व के भाव से परिपूर्ण है जब लोग उसको यह कहकर चिढ़ाते कि लेखिका जेल चली जाएगी तो वह लेखिका को कहती कि क्या मैं अपनी साड़ीयाँ धोकर रख लूँ ताकि आपको शर्मिंदा न होना पड़े और क्या-क्या समान वह बाँध ले वह लेखिका को अकेले कही भेजने के बारे में सोच भी नहीं सकती।
  6. सच्ची सेविका- भक्तिन लेखिका की सच्ची सेविका है तभी लेखिका कहती है कि उसका सम्बन्ध मुझसे ऐसा है कि मेरे चले जाने के आदेश को सुनकर वह हँस देती है। उसका अस्तित्व मेरे घर में आंगन में आने वाली रोशनी के समान है।

प्रश्नों – उत्तर

प्रश्नभक्तिन का असली नाम क्या था? उसके परिवार का परिचय दीजिए।

उत्तर- भक्तिन का असली नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था वह झूँसी में गांव के प्रसिद्ध सूरमा की एकलौती बेटी थी। विमाता की छाया में पली। नौ वर्ष की आयु में उसका गौना कर दिया गया। पिता की मृत्यु पर विमाता और सास के व्यवहार से वह बहुत दुखी हुई लड़का न होने के कारण जिठानियाँ उस पर ताने कसती । उसकी तीन बेटियाँ थी। बड़ी बेटी की शादी करने के उपरांत पति की मृत्यु हो जाती है और जमाई की क्रूरता के कारण वह घर छोड़कर शहर आ जाती है

प्रश्न भक्तिन अपना असली नाम किसी को नहीं बताती। उसने अपना नाम केवल किस प्रार्थना के साथ एक बार कब बताया ?

उत्तर- उसने अपनी ईमानदारी का परिचय देने के कारण लेखिका को अपना नाम बताया और यह प्रार्थना की कि वह कभी उसके नाम का प्रयोग न करे।

प्रश्नलेखिका ने उसका नाम भक्तिन क्यों रखा? इसे सुनकर उसकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- लेखिका ने उसके गले में पहनी कंठी माला देखकर उसका नाम भक्तिन रख दिया। इसे सुनकर भक्तिन बहुत खुश हुई।

प्रश्नभक्तिन और लेखिका के सम्बन्ध लिखे?

उत्तर- भक्तिन और लेखिका का सम्बन्ध स्वामी सेविका का सम्बन्ध है यह कहना कठिन है लेखिका ऐसी स्वामी है जो इच्छा होने पर भी सेविका को अपने पद से हटा नहीं सकती और भक्तिन ऐसी सेविका है जो स्वामी के द्वारा हट जाने का कहे जाने पर भी अवज्ञा से हँस देती है। दोनों के मध्य एक भावात्मक रिश्ता है इसी कारण लेखिका सोचती है कि चिर विदा के अंतिम क्षणों में यह देहातिन वृद्धा क्या करेगी और मैं क्या करूंगी।

अवतरणों पर आधारित प्रश्नोत्तर

  1. “पाँच वर्ष की वय में उसे हँडिया ग्राम के एक संपन्न गोपालक की सबसे छोटी पुत्रवधू बनाकर पिता के शास्त्र से दो पग आगे रहने की ख्याति कमाई और नौ वर्षीय युवती का गौना देकर विमाता ने, बिना माँगे पराया धन लौटाने वाले महाजन का पुण्य लूटा।”

प्रश्न – लेखिका किस बालिका का वर्णन कर रही है ?

उत्तर- लेखिका महादेवी वर्मा ने अपने ‘भक्तिन’ शीर्षक संस्मरण में एक निर्धन और प्रताड़ित स्त्री का संस्मरण प्रस्तुत किया है। उसका वास्तविक नाम लक्ष्मी या लछमिन था परंतु लेखिका ने उसे नाम दिया था।

प्रश्न – पाँच वर्ष की आयु में विवाह के पीछे क्या तर्क हो सकता है ?

उत्तर- पुराने समय में हमारा समाज अंधविश्वास, भय और आतंक में जीता था। शासन व्यवस्था के दोषों के कारण लोग छोटी आयु में ही बच्चों का विवाह करने लगे थे। यह कुप्रथा लंबे समय तक लगातार जारी रही।

प्रश्न – विमाता की छवि इसी प्रकार की क्रूर क्यों बनाई जाती है ?

उत्तर- विमाता की छवि हमारे स्थानकों ,चलचित्रों और किस्सों आदि में अच्छी नहीं है। प्रायः विमाता यह सोच लेती है कि उसका जिस संतान से कोई खून का रिश्ता नहीं है, उसके प्रति करुणा और चिंता क्यों हो ? इसीलिए उन्हें प्राय: क्रूर तथा अमानवीय दिखाया या पाया जाता है।

प्रश्न – लेखिका की सहानुभूति और आक्रोश किसके प्रति है और क्यों ?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ में लेखिका की सहानुभूति भक्तिन जैसी प्रभावित स्त्रियों के प्रति है। दूसरी ओर उसका सारा आक्रोश हमारे झूठे नियमों, अंधविश्वासों और अमानवीय चिंतन-धारा के प्रति है । दुःख इस बात का है कि हमारे यहाँ स्त्री ही हर प्रकार के प्रकोप का भाजन बनती आई है। सारे कायदे-कानून स्त्री के ही विरोध में जाते हैं। लोग चाहकर भी स्त्री के प्रति सद्भावना और संवेदना नहीं रख पाते।