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मुख्य बिंदु
- भिक्षुक अपने आपको दुख पहुँचाता, पछताता हुआ आ रहा है।
- भूख के कारण उसका पेट और पीठ मिलकर एक हो गए हैं।
- वह लाठी के सहारे चल रहा है और अपनी फटी-पुरानी झोली को फैलाकर लोगों से भीख माँग रहा है।
- उसके साथ उसके दो बच्चे भी हैं।
- बच्चे अपने बाएँ हाथ से अपने पेट को मल रहे हैं और दाहिने हाथ का प्रयोग लोगों से कुछ माँगने के लिए कर रहे हैं।
- जब इन्हें कुछ नहीं मिलता तो वे अपमान और दुख के आँसुओं का घूँट पीकर रह जाते हैं।
- भूख की असहनीय स्थिति में वे सड़क पर जूठी पत्तलों को चाटकर अपनी भूख मिटाने का प्रयास कर रहे हैं।
- इन्हीं जूठी पत्तलों पर कुत्ते भी झपट रहे हैं।
- कवि अपनी कविता के माध्यम से भिक्षुक की दीन-हीन दशा जन-जन तक पहुँचाना चाहता है।
- कवि भिक्षुक को अभिमन्यु के समान संघर्ष करने को प्रेरित कर रहा है।
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