मुख्य बिंदु

  • मेघ बन ठनकर सँवरकर आने से कवि को ऐसा लगा मानो शहर से कोई मेहमान (दामाद) बन-सँवरकर आया है।
  • मेघों के आगमन की सूचना देने पुरवाई हवा चल पड़ी।
  • घरों के दरवाज़े-खिड़कियाँ खुल गईं।
  • पेड़ गरदन उचकाकर, झुककर बादलों को देखने लगे।
  • धीरे-धीरे जब हवा आँधी में बदल गई तो कवि को ऐसा लगा मानो गाँव की युवती शहर से आने वाले मेहमान को देखकर अपना लहँगा उठाकर भागी जा रही है।
  • नदी भी ठिठककर मेघों को देखने लगी।
  • जिस प्रकार घर का बड़ा बूढ़ा घर आए मेहमान का स्वागत करता है, उसी प्रकार बूढ़े पीपल ने मेघों का स्वागत किया।
  • जैसे गाँवों में पत्नी पति के सामने नहीं आ सकती, वैसे ही मैचों के आगमन पर लता दरवाजे की लेकर मेघों को एक वर्ष बाद आने का उलाहना देती है।
  • तालाब भी मेघों के आगमन से प्रसन्न है इसीलिए वह मेहमान के चरण धोने के लिए पानी लाता हुआ होता है।
  • क्षितिज पर बिजली चमकी, वर्षा होने लगी, तो कवि को ऐसा लगा मानो पति-पत्नी का मिलन हो गया हो और मिलन के आँसू बह रहे हों।