मज़बूरी Summary

मजबूरी कहानी का कथानक प्रभावशाली, मर्मस्पर्शी एवं भावनात्मक है |बूढ़ी अम्मा जो गठिया के रोग से पीड़ित है वह आज आँगन लेप रही थी उसे देखकर नर्बदा ने पूछा तो अम्मा ने बताया कि आज उसका बेटा रामेश्वर आ रहा है तीन साल बाद रामेश्वर आ रहा है यह सुनकर नर्बदा ने कहा फिर तो उसमें जरा भी मोह माया नहीं है खुशी के मारे अम्मा को नींद न आई और सुबह उठकर उसने उसके आने की सारी तैयारियाँ कर ली रामेश्वर और बहू के आने पर अम्मा बहुत खुश थी |रमा बहू माँ बनने वाली थी तो उसने बड़े बेटे बेटू को अम्मा को अपने पास रखने को कहा। अम्मा यह सुनकर बहुत खुश थी उसको जिंदगी जीने का सहारा मिल गया था बेटू के लिए उसने बहू को शुभ आशीष दिए। तब बेटू को अम्मा के पास छोड़कर रमा अपने मायके चली गई साल बाद रमा ने एक और बेटे को जन्म दिया और दो साल बाद जब रमा और रामेश्वर पप्पू को लेकर आए तो रमा बेटू की हालत देखकर हैरान रह गया बेटू गली के गंदे बच्चों के साथ खेलता, बात-बात पर जिद्द करता, अम्मा के हाथ से खाना खाता, फेरीवाले से चीजे माँगता, न मिलने पर घर में लोटता यह सब देखकर रमा ने बेटू को अपने साथ ले जाने का निश्चिय किया। अम्मा बेचारी के तो पैरों तले से जमीन खिसक गई और जब अम्मा को अपने नौकर से पता चला कि बेटू तो वहाँ जाकर बीमार हो गया है तो अम्मा उसे लेने चली गई। मेरे बिना रहता भी तो नहीं। अब रमा दोबारा बेटू को लेकर बम्बई चली गई कि अम्मा वहाँ तो न आ पाएगी। अम्मा ने फिर शिब्बू नौकर को जाने किस उम्मीद साथ भेज दिया। अब अम्मा सबसे कहती बस किसी तरह बेटू बहू के साथ हिल जाए मैं तो सवा रुपये का परसाद चढ़ाऊँगी और जब नौकर वापिस आया तो उसने बताया कि बेटू बहू के साथ हिल-मिल गया है अम्मा अब तो तुम सवा रुपये का परसाद चढ़ा ही दो अम्मा ने कहा- क्या कहा, बेटू मुझे भूल गया। सच मेरी चिंता खत्म हुई जरुर परसाद चढ़ाऊँगी मेरे बच्चे के जी का कलेश मिटा, मैं परसाद नहीं चढ़ाऊँगी क्या, यह कहती अम्मा की आँखें आँसूओं से भर आई और वह पोछती हँस पड़ी ।

प्रश्न – उत्तर

i) बूढ़ी अम्मा ने दूसरी बार रमा के साथ बंटू को किस प्रकार अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करके तथा अपना मन मसोसकर भेज दिया। इससे उनके चरित्र की किस विशेषता पर प्रकाश पड़ता है?

उत्तर – बूढ़ी अम्मा ने दूसरी बार रमा के साथ बेटू को अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण करके भेज दिया यह उसके चरित्र की करुणामय और ममतामय विशेषता को प्रकट करती है अम्मा अब यही प्रार्थना करती कि किसी तरह बेटू रमा के साथ हिलमिल जाए तो वह सवा रुपए का परसाद चढ़ाएगी। उच्च स्वर में वह रात-दिन रट लगाती रहती कि बेटू किसी तरह मुझे भूल जाए। जब नौकर ने भी आकर बताया कि बेटू अब बहू के साथ हिल-मिल गया है और अम्मा को भूल गया है तो अम्मा शून्य में पथराई आँखों से उसे ही देख रही थी मानो कुछ समझ न रही हो और कहने लगी हाँ अब तो मैं परसाद जरूर चढ़ाऊंगी क्यों नहीं चढ़ाऊँगी। जेब से सवा रुपये निकालकर अम्मा ने शिब्बू को दिए जा ले आ परसाद चढ़ाकर बाँट दूँ। यह कहते अम्मा की आँखें आँसूओं से भरी थी यह पंक्तियाँ बेटू के प्रति उनके अगाध प्रेम के भाव को व्यक्त करती है।

अवतरणों पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. “अम्मा, यह क्या हो रहा है ? कल तो गठिया में जुड़ी पड़ी थीं, दरद के मारे तन-बदन की सुध नहीं थी, और आज ऐसी सरदी में आँगन लीपने बैठ गई।”

(i) वक्ता और श्रोता का परिचय दें।

उत्तर – वक्ता नर्बदा नामक एक बरतन मलने वाली स्त्री है ओर श्रोता उसके पड़ोस में रहने वाली बूढ़ी अम्मा है।

(ii) अम्मा के उत्साह का क्या कारण था ?

उत्तर – अम्मा के उत्साह का कारण यह था कि उसका पुत्र रामेश्वर तथा पोता आ रहे थे जिसे वह ‘बैटू’ कहकर पुकारती है।

(iii) अम्मा को किस प्रकार के रंग में देखा जा रहा था ?

उत्तर – अम्मा एक बूढ़ी स्त्री है, वह गठिया के रोग से पीड़ित है। उसका हिलना-जुलना कठिन है। परंतु पौत्र के आगमन की सूचना पाकर वह नए रंग में दिखाई देती है। वह ज़ोर-ज़ोर से लोरी गा रही है और लाल मिट्टी से कमरा लीप रही है।

(iv) अम्मा आगंतुक के लिए क्या करना चाहती है ?

उत्तर – अम्माआगंतुक के स्वागत में खड़िया भिगोती है ताकि बाहर के आँगन में माँड दे। वह नर्बदा से कहती है कि “ऐसा माँडना कि सब देखते ही रह जाएँ।” इस ” प्रकार वह अपनी संस्कृति और सामर्थ्य के अनुसार आगंतुक के प्रति वात्सल्य दिखाती है।

2.”उसे कहने में बड़ा संकोच हो रहा था कि मुझे बुढ़ापे में तकलीफ होगी, पर तू ही बता, घर के बच्चे को रखने में कैसी तकलीफ भला। ऐसे समय में घर के ही लोग काम न आएँगे तो कौन आएँगे भला ?”

(i) उक्त संवाद किसने और किससे कहा है ?

उत्तर – प्रस्तुत संवाद मज़बूरी शीर्षक कहानी की बूढ़ी अम्मा द्वारा नर्बदा से कहा गया है, जो उसके यहाँ काम करने आया करती है।

(ii) ‘घर का बच्चा’ कौन है ?

उत्तर -घर के बच्चे का अर्थ अम्मा के पौत्र से है। वह उसके नगर में रहकर नौकरी करने वाले पुत्र रामेश्वर का बेटा है। अम्मा उसे ‘बेटू’ कहकर संबोधित करती है।

(iii) ‘घर के बच्चे’ को अम्मा के पास छोड़कर जाने के पीछे क्या कारण था ?

उत्तर – ‘घर के बच्चे’ अर्थात् बेटू को अम्मा के पास छोड़ने का निश्चय किया गया था। गाँव में बच्चे को छोड़ने के पीछे कारण यह था कि रामेश्वर की पत्नी पुनः गर्भवती थी। अतः उन्होंने अपनी सुविधा के लिए बेटू को गाँव में अम्मा के पास छोड़ने का विचार बनाया। इस प्रकार आने वाले बच्चे की तथा बहू की देखभाल में सुविधा देखी जा रही थी।

(iv) अम्मा की ममता व उत्साह का वर्णन करें।

उत्तर – अम्मा के उत्साह और ममता का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। वह हर किसी से बेटू के आने की खुशी बाँट लेना चाहती थी। वह दूध की मात्रा बढ़ाने से लेकर बेटू के रख-रखाव व लालन-पालन की सभी संभव सुविधाओं को अंतिम रूप देना चाहती है। वह अपने गठिया रोग को भूलकर बेटू के लिए घोड़ा बनती है।

3.” पर जब उन्हें लिखा कि स्कूल में डाल दो तो उनसे नहीं हुआ। जैसे बताती हूँ, वैसे तो रखती नहीं। अब इनके दो दिन के सुख के लिए बच्चे का सारा भविष्य बिगाड़कर रख दूँ।”

(i) प्रस्तुत संवाद के वक्ता व श्रोता का नाम लिखें।

उत्तर – प्रस्तुत संवाद की वक्ता रामेश्वर की पत्नी रमा और श्रोता स्वयं रामेश्वर है।

(ii) किसे स्कूल में डालने की बात लिखी गई थी ? परिणाम क्या हुआ था ?

उत्तर – रामेश्वर अपनी गर्भवती पत्नी की सुविधा को देखते हुए अपने बेटे को गाँव में उसकी दादी ‘अम्मा ‘ केपास छोड़ जाता है। उन्हें इस बात पर आश्चर्य हुआ कि अम्मा के लाड प्यार ने उसे बिगाड़कर रख दिया है। उसे स्कूल में डालने के लिए पत्र लिखा गया, परंतु परिणाम कुछ नहीं निकला। जबकि उनका दूसरा पुत्र तीन साल की लगा था। आयु में ही अंग्रेज़ी की कविताएँ सुनाने

(iii) बेटू के पालन-पोषण में क्या दोष देखा जा रहा था ?

उत्तर – अतिरिक्त लाड और ममता ने बेटू को बिगाड़कर रख दिया था। अम्मा बेटू को अपने हिसाब से नहीं अपितु उसके हठ व इच्छा के अनुसार पाल रही थी। यही कारण था कि वह अभद्र, उद्दंड व असभ्य बनता जा रहा था।

(iv) बेटू को लेकर अब कैसा निश्चय किया गया और क्यों ?

उत्तर – रमा अपने ‘बेटू’ के भविष्य को लेकर चिंतित हो उठी। वे लोग अब दूसरी बार गाँव आए थे। पहली बार तो कुछ विशेष प्रतिक्रिया नहीं हुई, परंतु अब रमा को उसके भविष्य की भारी चिंता थी। वह किसी भी हालत में उसे अम्मा के लालन-पालन के भरोसे नहीं छोड़ सकती थी। वे अम्मा की वत्सल भावना को समझते हुए भी बेटू को अपने साथ बाहर ले जाने का निश्चय कर चुके थे।