शरणागत सार (Summary)

शरणागत कहानी का कथानक प्रभावशाली संक्षिप्त एवं उपदेशात्मक है रज्जब जो पेशे से एक कसाई है वह ललितपुर गाँव का रहने वाला है उसकी पत्नी को तेज ज्वर होने के कारण उसे मड़पुरा गाँव से रातभर के लिए रुकना पड़ता है परन्तु काम से कसाई होने के कारण उसे गाँव में कोई शरण नहीं देता दूसरी तरफ पत्नी की हालत बहुत खराब थी। रज्जब गाँव के ठाकुर के पास शरण माँगने जाता है ठाकुर पहले तो कठोरता से बात करता है कि तुम यहाँ क्यूँ आए, क्या सोचकर आए परन्तु जब रज्जब कहता है कि आप राजा है राजा से शरण माँगने आया हूँ, तो ठाकुर की कठोरता लुप्त हो जाती है और उसे घर के एक कोने में रात गुजारने की आज्ञा दे देता है रज्जब सवेर होने से पहले चले जाने का वादा करता है आधी रात को ठाकुर से कुछ आदमी मिलने आते हैं और कहते हैं कि आज कुछ लूट हाथ नहीं लगी। सुबह होने पर भी रज्जब वहाँ से नहीं जा पाता क्योंकि उसकी पत्नी की हालत अभी भी ठीक नहीं थी परन्तु ठाकुर उसे घर में ओर रहने की इजाजत नहीं देता पत्नी की हालत ज्यादा खराब होने के कारण वह ललितपुर गाँव जाने के लिए एक गाड़ीवाला करता है गाड़ीवाला भी आना कानी करते हुए चलने को तैयार हुआ रास्ता काफी सुनसान था गाड़ीवाला भी घबरा रहा था तभी सामने कुछ आदमी आकर खड़े हो गए और गाड़ीवाले को भी पकड़ा तभी रज्जब की तरफ हो गए एक आदमी ने रज्जब की छाती पर लाठी का सिरा रखा और रुपया-पैसा निकालने का हुक्म दिया और तभी नीचे खड़े व्यक्ति ने कहा- इन्हें छोड़ दो यह मेरा शरणागती है और ठाकुर शरणागत की रक्षा करता है आदमी ने कहा। दाऊजी, हम आगे से आपके साथ नहीं आऐगें। तो ठाकुर ने कहा मत आना, मैं अकेला ही सब कर गुजरता हूँ परन्तु शरणागत के साथ घात नहीं करता।

प्रश्न – उत्तर

(i) ‘ शरणागत ‘ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार लिखिए।

उत्तर – ‘ शरणागत’ शीर्षक कहानी वृंदावन लाल वर्मा द्वारा लिखित है। इस कहानी में भारतीय संस्कृति के श्रेष्ठ जीवन-मूल्यों की स्थापना करते हुए शरण में आए अर्थात् ‘शरणागत’ की रक्षा को परम धर्म माना गया है।कहानीकार ने रज्जब नामक एक कसाई का पेशा करने वाले व्यक्ति तथा उसकी पत्नी की कहानी के बहाने मानवतावाद की स्थापना की है। कसाई होने के कारण रज्जब तथा उसकी बीमार पत्नी को रात बिताने के लिए कोई भी व्यक्ति स्थान नहीं देता। वे आश्रय की खोज में इधर-उधर भटकते रहते हैं। पत्नी की दशा अत्यंत गंभीर थी। हर कोई उसकी जाति पूछकर आश्रय देने से हिचकिचा जाता था। ऐसे में एक लघु वाद-विवाद के बाद इस दंपति को राजा ठाकुर के पौर में शरण मिल जाती है। राजा ठाकुर के साथी रज्जब की खोज में उसी के द्वार पर आ जाते हैं और विचार व्यक्त करते हैं कि रज्जब नामक कसाई के धन को लूटना उनका उद्देश्य है। राजा ठाकुर था तो उनका साथी ही, पर शरण में आए किसी भी व्यक्ति को शिकार नहीं बनने देना चाहता था। वह उन्हें टालकर भेज देता है और यह तर्क भी देता है कि कसाई की कमाई अशुद्ध होती है और उसे लूटना उचित नहीं होगा। जब रज्जब ठाकुर का पौर छोड़कर एक किराए की गाड़ी में ललितपुर की ओर निकलता है तो अँधेरा होते ही उन लुटेरों की चपेट में आ जाता है। वे उसे लूटने ही वाले थे कि यकायक राजा ठाकुर आ जाते हैं और हस्तक्षेप करने लगते हैं। कहानीकार ने स्थापित किया है कि राजा ठाकुर तथा उसके साथी भले ही लुटेरे थे परंतु लुटेरों में भी मानवता होती है। ठाकुर के साथी रज्जब को लूटने के निर्णय पर अडिग थे परंतु वह उसे अपना शरणागत मानता था। उसका निर्णय यह था कि किसी भी शरणागत की रक्षा करना हमारा परम धर्म है। रज्जब ने भले ही एक रात के लिए उसके यहाँ शरण ली थी, परंतु था तो वह उसका शरणार्थी ही। वह साथियों को आदेश देता है – “सब लोग अपने घर जाओ। राहगीरों को तंग मत करो। “
इस प्रकार कहानीकार ने शरणागत की रक्षा को सबसे ऊपर बताया है। यही कारण है कि इस कहानी का शीर्षक भी शरणागत रखा गया है, जो बिल्कुल सार्थक तथा सटीक है।

ii) रज्जब कौन था ?

उत्तर- रज्जब जाति से कसाई था एक गरीब व्यक्ति था जो ललितपुर गाँव का रहने वाला था।

iii) रज्जब क्या रोजगार करता था ?

उत्तर- रज्जब कसाई था वह पशुओं को मारने का रोजगार करता था इसी रोजगार के कारण उसे गाँव में कोई शरण नहीं देता।

iv) रज्जब कहाँ रहता था उसने किस गाँव में ठहरने का निश्चय किया?

उत्तर- रज्जब ललितपुर गाँव में रहता था उसने मड़पुरा गाँव में ही ठहर जाने का निश्चय किया क्योंकि उसकी पत्नी को तेज़ बुखार था और उसके पास रकम भी थी। बैलगाड़ी किराये पर लेकर वह खर्च नहीं करना चाहता था।

v) रज्जब अपने गाँव क्यों नहीं जा पा रहा था ?

उत्तर- रज्जब अपने गाँव इसलिए नहीं जा पा रहा था क्योंकि एक तरफ तो उसकी पत्नी को तेज बुखार था और उसके पास रकम भी थी। बैलगाड़ी को किराये पर लेने से खर्च ज्यादा होता था इसलिए वह गांव नहीं जा पा रहा था।

अवतरणों पर आधारित प्रश्नोत्तर

1.परंतु ठहरता कहाँ । जात छिपाने से काम नहीं चल सकता था। उसकी पत्नी नाक और कानों में चाँदी की बालियाँ डाले थी और पैजामा पहने थी। इसके सिवाय गाँव के बहुत से लोग उसको पहचानते भी थे।

प्रश्न-1) कहानी और कहानीकार का नाम लिखिए।

उत्तर- कहानी का नाम ‘शरणागत’ और कहानीकार का नाम ‘वृंदावन लाल वर्मा’ है।

प्रश्न-2) किसके ठहरने की बात हो रही है और उसके साथ और कौन है ?

उत्तर- रज्जब नामक एक कसाई अपना रोज़गार करके ललितपुर लौट रहा था। उसके साथ उसकी बीमार पत्नी थी।

प्रश्न-3) शरण न देने का मुख्य कारण क्या था ?

उत्तर- रज्जब एक कसाई था। ऐसे लोगों को तथा उनके व्यवसाय को उस समय का समाज अच्छा नहीं समझता था। इसलिए उसे तथा उसकी पत्नी को कोई भी शरण नहीं दे रहा था।

प्रश्न-4) शरण माँगने वाले की पत्नी की दशा कैसी थी ?

उत्तर- शरण माँगने वाला रज्जब अपनी पत्नी के साथ ललितपुर लौट रहा था। उसकी पत्नी को बुखार हो आया था। उसके पास कुछ रुपए थे और वह बैलगाड़ी किराए पर लेकर खर्च करने के पक्ष में नहीं था। इसी लिए वह रात भर आराम के विचार से पत्नी सहित गाँव में शरण माँगता फिर रहा था।