अवतरण संबंधित प्रश्न – उत्तर

1.”जिंदगी में खुद मैं ही पहली बार सूर्योदय देख रहा हूँ। उन दिनों तो जाने कि अंधेरी कोठरियों में कैद था। देखता ही नहीं था कि मेरे आस पास क्या क्या हो रहा है। अब रोशनी में आया हूँ तो लगता है कि इतने दिनों अंग बंद रहने की झेंप आँखें नहीं मिलाने दे रही। सचमुच… रोशनी में प्रभार कैसे बातें कर पाऊंगा, सीधा उसके चेहरे की ओर कैसे देख पाऊंगा। उन आरोप करती उलाहने-भरी आँखों का सामना कैसे कर पाऊँगा?”

क) उन दिनों तो जाने किन अंधेरी कोठिरियों में कैद था। समर का इस पंक्ति में क्या भाव है।

उत्तर- समर का इस पंक्ति से भाव है जब वह प्रभा के प्रति नफरत का भाव रखता वह उससे बात भी नहीं करता था।

ख) अब रोशनी में आया हूं। पंक्ति से समर का क्या भाव है।

उत्तर- इस पंक्ति से भाव है कि अब वह प्रभा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने लगा है। उसके प्रति प्रेम महसूस करने लगा है।

ग) समर प्रभा का सामना करने से क्यों घबराता है।

उत्तर- क्योंकि समर के मन में पश्चाताप का भाव है कि उसने प्रभा को बहुत दुख पहुँचाया है वह प्रभा का गुनेहगार है उसने उस पर बहुत अत्याचार किए है।

घ) सचमुच…रोशनी में प्रभा से कैसे बातें कर पाऊँगा। वाक्य किसने कहा है?

उत्तर- यह वाक्य समर ने कहा है।

2. “अच्छा, अभी तक चल रहा है ?” लेकिन लगा जैसे यह वाक्य मैंने उससे नहीं अपने आपसे कहा। दीवार से सटकर दबी-सिमटी प्रभा और दूसरी और अम्मा और भाभी की तसवीर आँखों के सामने आ गई। अचानक आँखें भीग आई। मुझे अपने रग-रग से रोती हुई मुन्नी की आवाज़ सुनाई देती रही, ‘भैया, भाभी से बोलो। पहले इस आवाज़ को मैंने सुना और दूसरे कान से निकाल दिया, लेकिन इस क्षण अपने भीतर से उठती हुई इस आवाज की प्रतिध्वनि से मेरे अस्तित्व का अणु-अणु गूंज उठा। मन हुआ मुन्नी से लिपट जाऊँ और उसके कान में अपनी आनंद-विह्वल वाणी में कूक उठू ‘देख मुन्नी, मैं बोला, मैं तेरी भाभी से बोला।

क) अच्छा, अभी तक चल रहा है वाक्य किसने, किससे कहा ?

उत्तर- यह वाक्य समर ने दिवाकर से कहा।

ख) लेकिन लगा जैसे यह वाक्य मैंने उससे नहीं, अपने आपसे कहा समर को ऐसा क्यों लगा ?

उत्तर- समर को ऐसा इसलिए लगा क्योंकि यह वाक्य कहते समय उसे दीवार से सटकर सिमटी प्रभा और दूसरी ओर अम्मा और भाभी की तसवीर सामने आ रही थी उसे अपने घर का झगड़ा याद आ गया।

ग) समर की आँखें क्यूँ भर आई ?

उत्तर- समर को मुन्नी की रोती आवाज़ सुनाई दे रही थी- भैया, भाभी से बोलो। यह सोचकर समर की आँखें भर आई।

घ) समर का मन मुन्नी को क्या कहने को किया ?

उत्तर- समर का मन किया कि वह मुन्नी से लिपट जाए और उससे कहे- मैं तेरी भाभी से बोला मुन्नी देख, मैं तेरी भाभी से बोला।

3. खाना रखकर वह जाने लगी तो देखा, कितनी गंदी धोती पहने है। एक एक फुट पर फटी और सिली है। यह पहनने लायक धोती है? इसे क्यों लादे हुए है यह? दूसरी धोती नहीं है? शादी पर मिली होंगी धोतियाँ-साड़ियाँ। सब कहाँ हैं? अब जब लौटकर आएगी तो इस बारे में बातें करूँगा। मैंने इन दिनों बेचारी को छोड़ा सो तो छोड़ा ही, सारे घरवालों ने खासतौर से अम्मा ने भी यह सोचना छोड़ दिया कि इसे किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ती है। वे तो माँ की जगह हैं। उन्हें तो इतना पक्षपात नहीं बरतना चाहिए था।

क) समर ने क्या देखा ?

उत्तर- समर ने देखा कि प्रभा ने जो धोती पहनी थी वह फटी हुई है और जगह जगह से सिली है वह पहनने लायक धोती नहीं थी।

ख) उसने क्या सोचा ?

उत्तर- समर ने सोचा कि इसके पास क्या यही साड़ी बची है शादी की इतनी साड़ियाँ होगी वह कहाँ गई।

ग) “मैंने तो छोड़ा सो छोड़ा ही, सारे घरवालों ने खासतौर पर अम्मा ने भी यह सोचना छोड़ दिया पंक्ति से समर का क्या भाव है।”

उत्तर- समर का भाव है कि मैं तो चलो प्रभा से नाराज़ था बात नहीं करता था परन्तु अम्मा को तो प्रभा की जरूरतों के बारे में सोचना चाहिए।

घ. समर ने अम्मा के प्रति क्या बात सोची ?

उत्तर- समर ने सोचा कि अम्मा तो माँ की जगह है उन्हें तो इतना पक्षपात नहीं बरतना चाहिए।

4.दिवाकर की बात मुझे छू गई। फिर भी बोला, “तुम्हारी क्या आफत ? मुसीबत तो हमारी है। समझ में ही नहीं आता कि किया क्या जाए? पढ़ाई तो हमारी बिलकुल रुक गई समझो। अब कहीं सौ-पचास रुपए की नौकरी मिल जाए तो काम चले।” “बेवकूफ हुए हो? सुनो, इस सबको तो जाने दो कुएँ में। कहना मानो, हम दोनों थर्ड-इयर ज्वॉइन करेंगे।” दिवाकर ने सांत्वना के स्वर में कहा। “नहीं दिवाकर, अपनी सीमाएँ देखकर ही सोचना चाहिए। हमारे घर की हालत ऐसी नहीं है। इस बार कुछ न कुछ तो करना ही है।

क) तुम्हारी क्या आफत ? मुसीबत तो हमारी है। वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने दिवाकर से कहा।

ख) समर ने ऐसा क्यों कहा ?

उत्तर समर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह घर की हालत जानता था कि उसके लिए आगे पढ़ने से ज्यादा नौकरी करने की आवश्यकता है।

ग) दिवाकर ने समर को क्या समझाया ?

उत्तर – दिवाकर ने समझाया कि सुनो हम दोनों थर्ड ईयर ज्वॉइन करेंगे तभी तो अच्छी नौकरी मिल पाऐगी।

घ) समर ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – समर ने कहा- नहीं दिवाकर अपनी सीमाएँ देखकर ही सोचना चाहिए। हमारे घर की हालत ऐसी नहीं है इस बार कुछ न कुछ तो करना ही है।

प्रश्न – उत्तर

1.प्रभा के साथ बातचीत शुरु होने पर समर को क्या महसूस हो रहा था?

उत्तर- समर को प्रभा से बातचीत होने पर प्रकाश का एहसास हुआ उसे लगा कि जैसे अब तक वह किसी अन्धेरी कोठरी में कैद था देखता ही नहीं था कि मेरे आस-पास क्या हो रहा है इतने दिन अंधेरे में रहने के कारण वह आँखें नहीं खोल पा रहा। तभी वह यह भी सोचता है कि प्रभा के प्रति किए गए व्यवहार के कारण वह उससे आँखें किस प्रकार मिला पाएगा तभी उसे यह भी महसूस हुआ कि उसने प्रभा पर कितने अत्याचार किए है उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था वह किस आधार पर इस घर में रह रही है और किस के कारण नौकरों की तरह काम कर रही है इस प्रकार एक तरफ वह प्रभा के साथ अपने द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर दुखी भी था तो दूसरी तरफ प्रभा से बातचीत शुरू हो जाने पर मन ही मन खुश भी बहुत था।

2.दिवाकर और समर के मध्य आगे की पढ़ाई को लेकर क्या बातचीत हुई?

उत्तर- दिवाकर ने जब समर से पूछा-आगे क्या करने का इरादा है तो समर ने कहा से बस अब कोई छोटी-मोटी नौकरी मिल जाए। घर की हालत तो तुम जानते हो हो। दिवाकर ने समझाते हुए समर से कहा- यह क्या बात कर रहे हो, हम दोनों अब थर्ड-ईयर ज्वॉइन करेंगे परन्तु समर नहीं माना, नहीं दिवाकर, अपनी सीमाएँ देखकर ही सोचना चाहिए। हमारे घर की हालत ऐसी नहीं है इस बार कुछ न कुछ तो करना ही है। आगे की बात कही चलती दिखाई नहीं देती। मैं तो अभी से तलाश में हूँ दिवाकर ने समझाया कि अगर डिग्री अच्छी होगी तो नौकरी भी अच्छी मिलेगी। इंटर पास को क्या मिलेगी नौकरी। समर यह बात सुनकर निरुतर हो गया।