अवतरण संबंधित प्रश्न – उत्तर

1.मैंने डरते-डरते भाभी से कहा, “भाभी, तुम्हारे पास सादी-सी कोई थोड “धोती क्या करोगे ?” मैं जान गया कि भाभी समझ गई हैं, लेकिन अनजा होगी ?” बनकर पूछ रही हैं। “हो तो पभा को दे दो, कोई देखे तो क्या कहे? देखने में भी तो शरम लगती है।” मैंने जबर्दस्ती आवाज को साधकर कहा। भाभी की आँखों में कुटिलता और बात को तोड़ लेने के संतोष की मुस्कराहट चमक आई। मैंने उनकी मुस्कराहट के जहर को देखकर अनदेखा कर दिया। वह बोली, “मेरे पास तो कसम से लालाजी, एक भी नहीं है। विश्वास न हो तो चलके मेरा संदूक देख लो।

क) समर ने भाभी से डरते-डरते क्या कहा ?

उत्तर – समर ने भाभी से डरते-डरते कहा कि भाभी तुम्हारे पास कोई सादी सी धोती होगी ?

ख) भाभी ने आगे से क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – भाभी ने उत्तर देते कहा-धोती क्या करोगे लालाजी।

ग) समर ने क्या बताया कि धोती किस लिए चाहिए ?

उत्तर- समर ने बताया कि भाभी अगर धोती है तो प्रभा को दे दो, कोई देखे तो क्या कहे. शरम आती है।

घ) भाभी ने धोती न देने का कहते क्या तर्क बताया ?

उत्तर – भाभी ने बताया कि नहीं लाला जी, मेरे पास तो एक भी नहीं है, विश्वास न हो तो चलके मेरा संदूक देख लो।

2.इस बार अम्मा एकदम भड़क उठी, “शादी का रखा है पत्थर! तू क्या कहीं चला गया था? कौन-सा खजाना आया था शादी में ? और कितने जनम हो गए शादी को कि उसकी बात याद दिला रहा है? क्यों रे, तब की सब चीजें अभी तक रखी ही होंगी? मुन्नी को नहीं दिया कुछ जाते वक्त?” लगता था अम्मा का क्रोध अपने आप ही बढ़ता चला जा रहा है। वह जोर-जोर से कहने लगीं, “तू अच्छा अपनी बहू से बोलने लगा, अब तो जरा-जरा-सी बातों पर छाती पर चढ़कर आएगा।”

क) “शादी का रखा क्या है, पत्थर!” यह वाक्य किसने एवं क्यूँ कहे ?

उत्तर- यह वाक्य अम्मा ने समर से कहे जब समर ने प्रभा के लिए अम्मा से धोती मांगी।

ख) अम्मा ने एकदम भड़क कर क्या कहा ?

उत्तर- अम्मा ने कहा- शादी का रखा क्या है पत्थर, तूं क्या कहीं चला गया था, कौन सा खज़ाना आया था शादी में, और कितनी देर हो गई शादी को तब की चीजें क्या अब तक धरी पड़ी है।

ग) अम्मा ने इतना गुस्सा क्यों दिखाया ?

उत्तर – अम्मा ने इतना गुस्सा इसलिए दिखाया जब समर ने यह कह दिया कि अम्मा कोई शादी की बची पड़ी हो वही दे दो।

घ) अम्मा ने समर पर क्या व्यंग्य किया ?

उत्तर – अम्मा ने समर पर व्यंग्य करते कहा- “तू अच्छा अपनी बहू से बोलने लगा, अब तो जरा-जरा सी बातों पर छाती पर चढ़कर आएगा।”

3. तभी न जाने कैसे समय निकालकर प्रभा आ गई। आते ही बोली, “वहाँ जाकर यह सब कांड करने को तुमसे किसने कहा था? मुझे धोती-साड़ी किसी की ज़रूरत नहीं है। मेरे पास संदूक भरा रखा है। इसलिए नहीं पहनती कि अच्छी कीमती साड़ियों को यहाँ घर के कामों में क्यों खराब करूँ। क्या जरूरत थी सुबह ही सुबह वहाँ जाकर झगड़ा खड़ा करने की? तुम कहीं कुछ करने लगो तो सब कुछ पहन लूंगी। कड़े से कड़ा जाड़ा जब इन कपड़ों में निकाल दिया तो अब क्या मेरी जा रही हूँ? तुमसे नहीं देखा जाता तो लो अभी निकालकर पहने लेती हूँ। मैंने तो कहीं जाने के लिए रख छोड़ी हैं। लेकिन देवता, मैं हाथ जो

क) प्रभा ने क्या कहा ?

उत्तर – प्रभा ने समर से कहा कि वहाँ जाकर धोती माँगकर इतना झगड़ा करने की क्या जरूरत थी।

ख) “तुम कहीं कुछ करने लगो तो सब कुछ पहन लूँगी” वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य प्रभा ने कहा।

ग) प्रभा ने समर को क्या समझाया ?

उत्तर – समर को समझाते प्रभा ने कहा- मुझे धोती-साड़ी किसी की जरूरत नहीं है। मेरे पास संदूक भरा रखा है इसलिए नहीं पहनती कि कीमती है।

घ) प्रभा अपनी साड़ियाँ क्यों नहीं पहनती थी ?

उत्तर – क्योंकि प्रभा की सभी साड़ियाँ कीमती थी घर पर पहनकर वह खराब हो जाएगी।

4. मैं ऊपर आ गया। कोठरी में उसका संदूक एक ओर रखा था। खोला और लापरवाही से पत्र डाल दिया। फिर उसकी बात का ध्यान हुआ और मन को रोकते-रोकते इच्छा जोर मारने लगी कि देखूँ तो सही, संदूक में रखा क्या-क्या है? देखा, रेशमी और सूती चार-पाँच साड़ियाँ, ब्लाउज और काग़ज़ के तथा दूसरे डिब्बे डिब्बियों में जाने क्या-क्या रखा था। कपड़े सचमुच अच्छे किस्म के थे और घर का ऐसा काम करते हुए रोजमर्रा के पहनने के लायक नहीं थे। सबसे अधिक जिस चीज़ ने मेरा ध्यान खींचा वेथीं दो-तीन पुस्तकें ।

क) समर ऊपर क्या करने आया ?

उत्तर – समर प्रभा का पत्र उसके संदूक में रखने के कारण ऊपर आया।

ख) समर ने संदूक में क्या डाला?

उत्तर – समर ने प्रभा का पत्र संदूक में डाला।

ग) समर के मन में क्या आया ?

उत्तर – समर के मन में इच्छा हुई कि देखें तो सही संदूक में रखा क्या-क्या है।

घ) समर ने संदूक में क्या-क्या देखा ?

उत्तर – समर ने देखा रेशमी और सूती चार-पाँच साड़ियाँ ब्लाऊज़ और कागज़ के तथा दूसरे डिब्बे-डिब्बियों में न जाने क्या-क्या रखा था। कपड़े सचमुच कीमती एवं अच्छे किस्म के थे घर के काम में पहनने वाले नहीं थे। सबसे अधिक समर का ध्यान संदूक में पड़ी दो तीन पुस्तकों ने खींचा।

प्रश्न – उत्तर

1.समर के क्या माँगने पर घर में झगड़ा हो गया अम्मा ने क्या-क्या बातें सुनाई ?

उत्तर- समर ने प्रभा के लिए साड़ी क्या माँगी घर में झगड़ा हो गया सबसे पहले समर ने डरते-डरते भाभी से कहा कि प्रभा के लिए कोई साड़ी हो तो दें दो परन्तु भाभी ने कहा मेरे पास तो नहीं है अम्मा से पूछ लो। तब समर ने अम्मा से पूछा, तो अम्मा का मुँह सा बुझ गया और कहा, यह लो चाबियाँ जाओ संदूक देख लो, मिले तो ले लो तभी समर ने केवल इतना कहा कि शादी की कोई बची हो तो दे दो अम्मा, बस इतना कहने की देर थी कि अम्मा जोर-जोर से बोलना शुरु हो गई। शादी में आया क्या था जो तुझे दूँ। शादी में कौन सा खजाना मिला था। जो कह रहे हो और इतनी देर हो गई शादी को अब क्या रखा पड़ा है तुम बहू से जो बोलने लगे अब सिर पर चढ़ जाओगे। इसी बात

2.प्रभा ने अपने पति समर को क्या समझाया ?

उत्तर – प्रभा ने समर को समझाते कहा कि वहाँ जाकर मेरे लिए साड़ी मांगने को तुम्हेंक्या आवश्यकता थी मुझे कोई साड़ी नहीं चाहिए। मेरे पास संदूक भरा पड़ा। है। नहीं पहनती क्योंकि कीमती साड़ियाँ है घर पर पहनने से खराब हो जाएगी। क्या जरूरत थी सुबह-सुबह इतना झगड़ा मोल लेने को तुम कुछ करने लगो तो सब पहन लूंगी। यदि इतनी जाड़ा इन्हीं साड़ियों में काट लिया। तो अब क्या है। यदि तुमसे नहीं देखा जाता तो अभी निकालकर पहन लेती है परन्तु मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ कि वहाँ जाकर मेरे लिए झगड़ा करने की कोई जरूरत नहीं है तुम तो कह सुनकर अलग हो जाओगे, मेरी जान वे लोग बाद में खाएँगे।

3.समर आगे जीवन में क्या करना चाहता था वह प्रभा को क्या कहता है।

उत्तर – समर आगे जीवन में पढ़ाई करके अच्छी नौकरी प्राप्त करना चाहता था वह प्रभा से भी पूछता है कि बताओ प्रभा तुम क्या चाहती हो, मैं आगे क्या करूं प्रभा भी कहती है कि मैं तो यही चाहती हूँ कि तुम खूब पढ़ो एम.ए तो कर हो लो। समर भी कहता है कि हाँ यह तो मैं भी जानता हूँ कि बिना डिग्री, अच्छी नौकरी पाना कितना मुश्किल है। एम.ए. तो मुझे किसी न किसी हालत में करनी ही है। प्रभा बस मुझे तुम हिम्मत बँधाती रहो।