अवतरण संबंधित प्रश्न – उत्तर

1.रोटियों में आज घी क्यों नहीं लगा रही, भाभी? थाली परोसकर जैसे ही प्रभा ने अमर के सामने सरकाई, अमर रोटियों की सूरत देखते ही तुनक उठा। “घी खत्म हो गया, लालाजी !” प्रभा ने मुलायम स्वर में बताया। “अभी कल-परसों ही तो सेर-भर लाया था, खत्म भी हो गया?” उसने तेज होकर पूछा। “था ही कितना?” प्रभा काम में लगी रही, इसलिए बिना ध्यान दिए ही बोली “अब तुम देख ही रहे हो। घर में ही काम आ रहा है।”

क) “रोटियों में आज घी क्यों नहीं लगा रही भाभी” ? वाक्य किसने किससे कहा

उत्तर – यह वाक्य अमर ने अपनी छोटी भाभी प्रभा से कहा।

ख) प्रभा ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – प्रभा ने कहा, लालाजी घी खत्म हो गया है।

ग) अमर ने आगे से क्या कहा ?

उत्तर – अमर ने तेज़ स्वर में कहा, अभी कल परसों ही तो सेर-भर लाया था खत्म भी हो गया।

घ) घर में ही काम आ रहा है। वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य प्रभा ने कहा

2.“क्या है, अमर ?” मैं चीख पड़ा। उसे यह नहीं मालूम था कि मैं पौली में बैठा-बैठा जूतों पर पॉलिश कर रहा हूँ। मैं चिनगारी निकालती आँखों से उसे यों ही घूरता हुआ, एक हाथ में ब्रश और एक हाथ में जूता लिए रसोई में आ खड़ा हुआ।मुझे देखते ही वह सकपकाकर चुप हो गया, रोटी के बहुत छोटे-छोटे कौरचुगने लगा।वह बैठा था। मैंने एक जोर की लात उसकी पीठ पर मारी और कहा, “बेशर्म, बात करने की तमीज़ नहीं है? लगाम मुँह में है ही नहीं? जो जी में आया सो बक दिया? मैट्रिक में पढ़ते हैं ये !”

क) क्या है अमर वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने अपने छोटे भाई अमर को कहा।

ख) समर क्या कर रहा था ?

उत्तर – समर अपने जूतों को पालिश कर रहा था।

ग) अमर ने समर को देखकर क्या प्रतिक्रिया की ?

उत्तर – अमर, समर को देखकर चुप गया और रोटी के छोटे-छोटे कौर चुगने लगा।

घ) समर ने अमर को झिड़कते क्या कहा ?

उत्तर – समर ने कहा बेशमं बात करने की तमीज नहीं है? लगाम मुँह में है ही नहीं जो जी में आया बोल दिया, मैट्रिक में पढ़ता है यह

3.“तुम तो कुछ सोचो मत, और अगर दूसरा कुछ कहे तो बहू की आड़ हो गई? अब महीनों हो गए, ख्याल है किसी को कि कब खाती है, कब सोती है? एक कपड़ा माँगा सो दुनिया भर का महाभारत ? भाभी क्या कुछ भी करने लायक नहीं हैं लेकिन नहीं, वह क्यों करेंगी वह तो बड़ी बहू हैं न, सास की जगह। सो वह तो रानी हैं, बाकी सब दासियाँ।”

क) “तुम तो कुछ सोचो मत” वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने अपने बारे में कहा।

ख) समर ने घर वालों पर क्या व्यंग्य किया ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने अपने बारे में कहा।समर ने व्यंग्य करते कहा- महीनों हो गए, किसी को ख्याल है वह कब खाती है कब सोती है? एक कपड़ा माँगा तो दुनिया भर का महाभारत हो गया।

ग) भाभी के बारे में समर ने क्या कहा ?

उत्तर –यह वाक्य समर ने अपने बारे में कहा।भाभी के बारे में समर ने कहा कि भाभी तो क्या कुछ भी करने लायक नहीं है। लेकिन वह क्यों करेगी वह तो बड़ी बहू है सास की जगह है।

घ. “वह तो रानी है, बाकी सब दासियाँ” समर ने रानी किसे एवं दासी किसे कहा?

उतर – समर ने रानी भाभी को और दासी प्रभा को कहा ?

4.तभी न जाने किधर से प्रभा मेरे पास आकर बैठ गई। डरते-डरते बाँह छूकर बोली, “खाना नहीं खाओगे?”मुझे उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था। भीतर से कहीं इसी क्षण के लिए आशंकित था बिना कोई भाव दिखाए या हिले-डुले बोला, “नहीं, तुमने खा लिया ?” .” उसने मेरे माथे पर हथेली रखकर कहा। “नहीं…. और मैं सहसा प्रभा की जाँघ में मुँह गड़ाकर फफक उठा, “प्रभा… प्रभा बताओ, हम क्या करें, कहाँ चले जाएँ?”

क) प्रभा ने समर से डरते-डरते क्या कहा ?

उत्तर – प्रभा ने कहा खाना नहीं खाओगे। समर ने क्या उत्तर दिया ?

ख) समर ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – समर ने उत्तर दिया, नहीं, तुमने खा लिया ?

ग) समर ने सहसा प्रभा से क्या कहा ?

उत्तर – समर ने सहसा प्रभा से कहा – प्रभा………. प्रभा, बताओ हम क्या करें कहाँ जाए।

प्रश्न – उत्तर

1.अमर प्रभा से क्यों झगड़ रहा था उसने प्रभा से क्या-क्या कहा ?

उत्तर – प्रभा ने जब अमर को रोटी दी तो उस पर घी न लगा होने के कारण अमर बोलने लगा कि घी क्यों नहीं लगाया तो प्रभा ने कहा कि घी खत्म हो गया है। उस पर अमर प्रभा से बतमीजी से बोलने लगा कि अभी तो सेर भर लाया खत्म कैसे हो गया। यह क्यों नहीं कहती तो सारा अपने खसम को चटा दिया? घर का नाम क्यों लेती हो। घर में किसी को घी मिले न मिले लेकिन समर भैया की दाल में खूब घी डाला जाएगा, रोटियाँ खूब चोपड़ी जाएगी, बस हमारे लिए ही नहीं है।

2.भाभी गुस्सा क्यों हो गई सारी बात प्रभा पर क्यों डाल दी गई।

उत्तर – जब समर ने कहा कि भाभी कोई काम नहीं करती, अब यह क्यों करेगी वह बड़ी बहू जो है और प्रभा जो है काम करने को तो बड़ी भाभी गुस्सा हो गई रसोई में खाना बनाती प्रभा को पीछे हटाकर रोटियाँ बेलने लगी और प्रभा को पीछे धकेल दिया और कहने लगी दासी वह काहे की, दासी तो हम है, जिन्दगी भर खिलाया है अब भी खिलाऐगे, पहले एक को खिलाया था अब दो-दो को खिलाऐगे। बच्ची को खाट पर रोता डालकर आ गई तो प्रभा बच्ची को चुप करवाने चली गई भाभी ने बच्ची को भी उससे छीन लिया और कहा रोने दो, मर थोड़ा न जाएगी रो-रो कर सारी बात की जिम्मेदारी प्रभा पर डाल दी गई क्योंकि घर वाले प्रभा को ही सब बातों की जड़ मानते थे यह देखकर समर भी चुप रह गया।