लेकिन मुझे देखते ही वे बोले, “बड़ी देर लगा देते हो समर, आखिर यह खाने को भी तो बैठी रहती है। खाना-बाना खाकर ही घूमने निकल जाया करो न फिर ठंडा खाना शरीर को लगता भी तो नहीं है।”बाबूजी के स्वर के इस वात्सल्य को तो जाने कब से मैं भूल ही चुका था। सुनकर शरीर ऊपर से नीचे तक रोमांचित हो आया। मैं तो डांट खाने के लिए तैयार था। इस अपनेपन के स्वर से मन डर से दहल उठा। भगवान् जाने क्या होने को है। लेकिन प्रभा ने जल्दी ही मेरा डर निकाल दिया। उसने बताया, “अब तो घरवालों का रवैया हमारी तरफ से बड़ा उदार होता चला जा रहा है।”

क) बाबूजी का व्यवहार आजकल समर के साथ इतना नरम क्यों था?

उत्तर – क्योंकि समर नौकरी करने लगा था इसलिए बाबू जी का व्यवहार समर के प्रति नरम हो गया था।

ख) बाबूजी ने समर को क्या कहा ?

उत्तर – बाबूजी ने समर को कहाबड़ी देर लगा दी समर आखिर वह खाने को भी बैठी रहती है, खाना खाकर घूमने निकल जाया करो, फिर ठण्डा खाना शरीर को लगता भी नहीं है।

ग) बाबूजी के स्वर को सुनकर समर को क्या महसूस हुआ ?

उत्तर – समर का शरीर वात्सल्यपूर्ण स्वर को सुनकर रोमांचित हो उठा, अपनेपन के स्वर से मन डर से दहल उठा।

घ) प्रभा ने समर को क्या बताया ?

उत्तर – प्रभा ने भी बताया कि अब तो घरवालों का रवैया हमारी तरफ बड़ा उदार होता जा रहा है।

“भाई, मैंने नौकरी करने को कहकर तो यह काम लिया नहीं है। मैंने तो पड़ाई चलाए रखने के लिए काम लिया था। इस बार पंद्रह-पंद्रह रुपए की तो एक-एक किताब आएगी। किताबें तो खैर, मैं दिवाकर से ले लूंगा। साथ ही पढ़ेंगे तो अलग से जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन तुम ही सोचो कि पचहत्तर में बचेगा क्या ? बीस तो दिवाकर को ही देने हैं। जैसे ही कॉलेज खुलेंगे, एडमीशन वगैरह मिलाकर छब्बीस के करीब वहाँ देने होंगे। उधर ये कपड़े कॉलेज जाने लायक रह गए हैं, तुम्हीं बताओ? तार-तार तो निकला चला आ रहा है। कम से कम एक कमीज़-पतलून तो हो ही अपने पास।

क) समर ने नौकरी किस लिए ली ? उसने क्या कारण बताया ?

उत्तर – समर ने नौकरी इसलिए करने की सोची ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके।

ख) “पंद्रह-पंद्रह की तो एक किताब आएगी” यह वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने कहा।

ग) समर ने एडमीशन फीस कितनी बताई ?

उत्तर – समर ने एडमीशन फीस छब्बीस रुपये के करीब बताई।

घ) कपड़े कॉलेज जाने लायक नहीं है समर ने यह क्यों कहा ?

उत्तर – क्योंकि उसके कपड़े तार-तार हो चुके थे वह कॉलेज में पहनने लायक नहीं थे।

3.मैंने तरह-तरह के बचाव के पैंतरे सीख लिए। गाड़ी के चलने तक में निहायत ही तटस्थ की तरह ही घूमता रहता, मानो किसी और गाड़ी का इंतज़ार कर रहा है या किसी और काम से यहां आया हूँ। टी.टी. आंख रखता और जैसे ही गाड़ी चलती, उससे सबसे दूर पड़नेवाले डिब्बे में चह जाता। जैसे ही गाड़ी रुकती कि सबसे पहले प्लेटफॉर्म पर उतरकर फिर इस तरह टहलने लगता मानो मैं तो जाने कब का यहाँ टहल रहा हूँ. मुझे इस रेल से क्या लेना देना।

क) समर ने बचाव के पैंतरे क्यों सीखे ?

उत्तर – ताकि उसे गाड़ी की टिकट न लेनी पड़े उसका किराया बच जाए इस कारण वह तरह-तरह के पैंतरे करता।

ख) समर स्टेशन पर क्या करता ?

उत्तर – समर स्टेशन पर गाड़ी आने पर यूँ टहलता रहता मानो वह किसी का इन्तजार कर जाता। हो और टी.टी पर आँख रखता उससे दूर पड़ने वाले डिब्बे में चढ़

ग) वह सबसे दूर पड़ने वाले डिब्बे में क्यों चढ़ता ?

उत्तर – ताकि वह टी.टी की नजरों से बच सके जब टी.टी जाता और गाड़ी रुकते हो सबसे पहले प्लेटफार्म पर उतर जाता।

घ) मुझे इस रेल से क्या लेना-देना वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने कहा।

4. बाबूजी पहलवानों की तरह दोनों हाथ छाती पर बाँधे उद्वेग से इधर से उधर टहल रहे थे, “उल्लू के पट्टों से कहते थे कि पढ़ो, पढ़ो। पर इन सालों को फुरसत कहाँ? एक ही शादी क्या कर दी, हाथ से ही चला गया। बड़े छाती ठोककर कहते थे, “बाबूजी आपको क्या है? मैं चाहे जो करता रहूँ, लेकिन फर्स्ट-डिवीजन न आए तो कहना।” अब ले चाट, सेकंड डिवीजन को रखकर। और अमरजी, तुम तो साफ सुन लो बात, मेरे तो बस का है नहीं कि हर बार रुपया तुम्हारे ऊपर पानी की तरह बहाऊँ। “

क) बाबूजी इधर-उधर उद्वेग से क्यों टहल रहे थे ?

उत्तर – क्योंकि समर और अमर का रिजल्ट आ गया था। समर सैकण्ड डिवीजन में पास हुआ था और अमर तो फेल हो गया था।

ख) समर का रिजल्ट क्या आया था ?

उत्तर – समर सैकण्ड डिवीजन में पास हुआ था।

ग) अमर को बाबूजी ने क्या कहा ?

उत्तर – अमर को बाबूजी ने कहा तुम तो बात साफ सुन लो मेरे तो बस का नहीं है। कि हर बार रुपया तुम्हारे ऊपर पानी की तरह बहाऊँ।

घ) “अब ले चाट, सेकण्ड डिवीजन को रखकर” वाक्य किसने किसको कहा।

उत्तर – यह वाक्य बाबूजी ने समर को कहा।