1.जैसे ही घर में कदम रखा कि परिचित आवाज को सुनकर चौंक गया। बैठक में जरा-सा झाँककर देखा, मामाजी थे। आश्चर्य हुआ। मेरी शादी के बाद वे अब आए थे। नाराज हो गए थे। जरा-सा झिझका और ऊपर चला गया। तभी नीचे से आवाज आई, “अरे समर, तू तो हमसे मिला ही नहीं, बेटे….” उनको शायद मेरे आने की खबर मिल गई थी। बड़ी अनिच्छा से उठकर नीचे आया। वे बैठक ही में बैठे थे, शायद नाराजी के कारण भीतर नहीं आए थे। मैंने चरण हुए तो उन्होंने बाँह में भरकर पास ही बिठा लिया और

क. बाबूजी से बात करते रहे।

उत्तर – घर में कदम रखते समय समर क्यों चौंक गया ? उत्तर- घर में कदम रखते ही समर किसी परिचित की आवाज सुनते ही चौंक गया।

ख. घर में कौन आया था समर को आश्चर्य क्यों हुआ ?

उत्तर – घर में समर के मामा जी आए थे। समर को आश्चर्य इसलिए हुआ कि समर की शादी के बाद वह अब आए थे वह शायद नाराज थे।

ग. उन्होंने क्या कहा ?

उत्तर – उन्होंने कहा, समर बेटे, तुम तो हमें मिले ही नहीं समर उन्हें बिना मिले हो ऊपर चला गया था।

घ. “अरे समर, तू तो मिला ही नहीं बेटे” वाक्य किसने एवं क्यों कहे ?

उत्तर – यह वाक्य समर के मामा जी ने कहे क्योंकि समर उन्हें बिना मिले हो ऊपर चला गया था।

2.बाबूजी फिर बीच में बोल पड़े, “इन्हें क्या चिंता है ? ये बने रहें और इनकी बहूरानी बनी रहे। बाकी सारी दुनिया भाड़ में चील जाए, इनकी बला से ।” कोई कड़ी बात कहने ही जा रहे थे कि मामाजी ने उन्हें रोक दिया। मैंने कहा तुम चुप रहो ठाकुर साहब बात मैं कर रहा हूँ और बोल आप रहे हैं। एकदम बच्चा तो वह है नहीं जो समझता न हो और बेटा, तुम्हारी शादी कर दी, तुम्हें पढ़ा-लिखा दिया, आखिर अब कब तक माँ-बाप के सहारे रहोगे? खुद दुनिया भर की मुसीबतें सहकर यह जो माँ-बाप बच्चों को पढ़ाते-लिखाते हैं वह किसी उम्मीद से ही तो करते हैं न?” उन्होंने मुझे फिर बगल में भींच लिया।

क. मामा जी ने समर को क्या कहा ?

उत्तर – मामाजी ने समर को कहा कि बेटा अब तुम्हारी शादी हो गई है बड़े हो गए ख. बाबूजी ने बीच में क्या कहा ? हो, गृहस्थ हो अपनी जिम्मेदारी समझो।

ख. बाबूजी ने बीच में क्या कहा ?

उत्तर – बाबू जी ने कहा, इन्हें क्या चिंता है? ये बने रहे और इनकी बहूरानी बनी रहे। बाकी सारी दुनिया भाड़ में चली जाए, इनकी बला से

ग. “बेटा, तुम्हारी शादी कर दी, तुम्हें पढ़ा-लिखा दिया आखिर अब कब तक माँ-बाप के सहारे रहोगे”, वाक्य किसने कहा एवं क्यों ?

उत्तर – यह वाक्य मामा जी ने समर को कहे ताकि वह अपनी जिम्मेदारी समझे।

घ. मामाजी समर को क्या समझाना चाहते थे ?

उत्तर – मामा जी समर को समझाना चाहते थे कि तुम अब शादीशुदा हो, जिम्मेदारी उठाऊ घर का खर्च संभालो।

3. इन सारी बातों का जवाब मैं क्या दूँ, मैं सोच ही रहा था कि अचानक तेज आवाज़ में कही गई बाबूजी की बात ने सारा जादू एक झटके में छिन्न भिन्न कर डाला, “तुम किस पत्थर को समझा रहे हो, चंदन ? कहा है, ‘सीख दीजिए ताहि को, जाको सीख सुहाय…. सीख न दीजे बाँदरा घर बया कौ जाय।’ वहाँ कोई असर नहीं है, भैया पानी की बूँद नहीं टिकनेवाली। सब चुपचाप सुन लेगा, लेकिन करेगा वही जो उसके जी में आएगा, जो बहू कहेगी”

क. “इन सारी बातों का जवाब मैं क्या दूँ” वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने कहा।

ख. बाबू जी ने अचानक तेज़ स्वर में क्या कहा ?

उत्तर – बाबू जी ने तेज़ स्वर में कहा तुम किस पत्थर को समझा रहे हो चंदन ?

ग. “सीख दीजिए ताहि को, जाको सीख सुहाय” वाक्य का भाव स्पष्ट करें ?

उत्तर – वाक्य का भाव है कि शिक्षा उसी को देनी चाहिए जिसे अच्छी लगे या जो शिक्षा को माने।

घ. बायू जी ने समर पर व्यंग्य करते क्या कहा ?

उत्तर – बाबू ने व्यंग्य करते कहा कि सब चुपचाप सुन लेगा, लेकिन करेगा वही जो बहू कहेगी।

4 .थोड़ी देर सोचकर कहा, “नहीं प्रभा, सारी कमजोरी यह है कि मैं बहुत कच्चे दिल का आदमी हूँ, सो जिसका मन होता है दबाता चला आता है। जरा उन्होंने प्यार की बात कह दी और पिघल गए। तुम्हीं बताओ, ऐसा मैंने क्या कर डाला कि बाबूजी से माफी मांगने को कहते थे? आखिर मेरा कुछकसूर भी तो बताओ” जिसका नाम लेकर कहूँ, बाबूजी गलती हो गई, माफ़ कीजिए। मैंने आज तक उनसे कोई बदजबानी नहीं की, उनके सामने नहीं आया। कभी उनके बारे में कोई ऐसी-वैसी बात नहीं की।

क. नहीं प्रभा, सारी कमजोरी यह है कि मैं बहुत कच्चे दिल का आदमी हूँ वाक्य किसने एवं क्यों कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने अपनी पत्नी प्रभा से कहा क्योंकि बाबू जी ने उसे काफी कुछ कहा कि यह बात नहीं मानता वही करता है जो वह कहती है।

ख. समर को बाबू जी से माँफी माँगने को कौन कह रहा था।

उत्तर – समर को बाबू जी से माफी मांगने के लिए उसके मामा जी कह रहे थे।

ग. समर किस बात से इतना निराश था ?

उत्तर – समर निराश था कि पता नहीं क्यूँ सब उसे ही बुरा मानते हैं वह आगे बढ़ना चाहता है पढ़ना चाहता है तो इसमें बुरी बात क्या है और यदि वह अपनी पत्नी से बातचीत करता है तो इसमें बुरा क्या है।

घ.“आखिर मेरा कुछ कसूर भी तो बताओ” वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने कहा।

1.समर के मामा जी ने समर को क्या समझाया बाबू जी ने इस पर क्या कहा ?

उत्तर – समर के मामा जी ने समर को समझाते कहा कि समर अब घर की तरफ भी थोड़ा ध्यान दो यहाँ भी कुछ मदद करने की बात सोचो माँ बाप का फर्ज सबसे बड़ा है। अब तुम बड़े हो गए हो गृहस्थ हो गए हो। अपने छोटे भाईयों को पढ़ाओ तुम्हारी शादी कर दो, तुम्हें पढ़ा लिखा दिया, आखिर अब कब तक माँ बाप के सहारे रहोगे? खुद दुनिया भर की मुसीबतें उठाकर माँ बाप बच्चों को पढ़ाते-लिखाते हैं वह किसी उम्मीद से ही तो करते हैं शादी ब्याह तो सबके होते हैं लेकिन कोई अपने भाई-बहनों को या माँ बाप को नहीं छोड़ देता। बाबू जी ने इस पर व्यंग्य करते समर को कहा कि यह तो सुनेगा सबकी लेकिन करेगा वही जो इसकी पत्नी कहेगी शिक्षा उसी को देनी चाहिए जो माने इस सब बातों के कारण समर काफी परेशान हो गया।

2.समर से शिरीष भाईसाहब ने प्रभा के बारे में क्या प्रश्न पूछा समर ने क्या सोचा?

उत्तर – शिरीष भाईसाहब ने समर से पूछा कि समर सच-सच बताना कि तुम अपनी पत्नी से सचमुच प्यार करते हो या सिर्फ पति होने के फर्ज के कारण उसके बारे में ऐसा सोचते हो। यह बात सुनकर समर स्वयं निर्णय नहीं कर पाया कि प्रभा के प्रति उसके मन में प्रेम का भाव है प्यार है या दया है या फिर अपने किए का पछतावा है या केवल दया भाव है समर को खुद जवाब नहीं सूझा। वह खुद में इस बात का जवाब खोजता रहा कि उसने अपने आपको तो मेरे लिए बिल्कुल भुला दिया है उसकी स्वयं की कुछ सुख-दुख, आकांक्षाएं नहीं है मेरे मन में प्रभा के प्रति क्या भाव है वह इसे समझ नहीं पा रहा था।