1.“आज तुमने बहुत काम किया है। लाओ, तुम्हारे पाँव दबा दूँ।” कहती हुई प्रभा जैसे ही पाटी पर मेरे पैताने की ओर बैठी, नींद की खुमारी से जागकर मैंने पाँव समेट लिए ।”नहीं, मुझे हाथ-पाँव कुछ नहीं दबवाने, तुम आराम करो। आज जरा-सा काम कर दिया तो क्या हो गया? तुम तो सारा दिन इतना काम करती रही हो।” आसमान की ओर देखकर पूछा, “साढ़े दस-ग्यारह बजे होंगे। इतनी देर में खतम हुआ है चौका-बरतन ?” “क्या करती, जेठजी ने अब खाना खाया। कहाँ चले चला गए थे किसी के साथ मुझे तो सच, उन पर बड़ी दया आती है। गऊ आदमी है। न किसी से बोलते हैं, न चालते हैं। सारा दिन लगे रहते हैं।”

क.”आज तुमने बहुत काम किया है?” यह वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य प्रभा ने समर से कहा।

ख . समर ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – समर ने कहा कि मुझे हाथ-पाँव कुछ नहीं दबवाने, तुम आराम करो।

ग. समर ने क्या पूछा ?

उत्तर – समर ने पूछा-साढ़े दस ग्यारह बजे होगें। इतनी देर में चौंका बरतन खतम हुआ।

घ. प्रभा ने क्या बताया ?

उत्तर – प्रभा ने बताया कि जेठ जी ने अभी खाना खाया। कही चले गए थे इसलिए देर हो गई।

2.”नहीं, यह बात नहीं, जी!” समझदारी से प्रभा बोला, “आज हम लोगों ने व्रत रखा था। मैं, भाभी और पड़ोस के अवस्थीजी की बीवी ने ? “अच्छा। तभी आज इतनी पति-सेवा सूझ रही है,” मैं परिहास से बोला, “किस सिलसिले में, देवी” “अरे, किसी सिलसिले में रखा हो, आपसे मतलब? ये सब औरतों के मामले हैं। मैं बुरा न मान जाऊँ इसलिए समझाकर बोली, ” “तुम खूब पढ़ो, अच्छी-सी नौकरी उसके लिए मुझे भी तो कुछ करना न-?”

क. प्रभा ने क्या बताया ?

उत्तर – प्रभा ने बताया कि आज उसने व्रत रखा था।

ख. समर ने हँसते हुए क्या कहा ?

उत्तर – समर ने हँसते कहा- अच्छा जी, तभी आज इतनी पति सेवा सूझ रही है।

ग. प्रभा ने व्रत रखने का क्या कारण बताया ?

उत्तर – प्रभा ने बताया कि तुम खूब पढ़ो अच्छी सी नौकरी करो उसके लिए मुझे भी तो कुछ करना चाहिए न तभी व्रत रखा।

घ. “ये सब औरतों के मामले हैं” वाक्य किसने एवं क्यों कहा ?

उत्तर – यह वाक्य प्रभा ने कहा क्योंकि समर प्रभा से व्रत रखने का कारण पूछ रहा था। उत्तर

3.प्रभा की बाँह छूकर कहा, “हमें नींद नहीं आ रही. प्रभा ।” प्रभा भी शायद जागी पड़ी थी। बोली, “तो बातें करो। लेकिन फिर सो मत जाना कि सुबह आँख ही न खुले। बहुत दिन से उन दोस्त की तुमने बातें नहीं बताई।” “किसकी? दिवाकर की?” मैंने उत्साह से कहा, “तुम्हें उसकी वाइफ़कितना बुलाती हैं, तुम चलती नहीं। एक दिन चलो न और देखो, आजकल शिरीष भाई भी यहीं हैं।” “कौन शिरीष भाई? वह तो नहीं, जिनकी एक बहन…..”

क. “हमें नींद नहीं आ रही” वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य समर ने प्रभा से कहा।

ख. प्रभा ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – प्रभा ने कहा- तो फिर बातें करो न लेकिन फिर सो मत जाना कि सुबह आँख ही न खुले।

ग. प्रभा ने किसकी बातें सुनाने को कहा ?

उत्तर – प्रभा ने समर से अपने दोस्त दिवाकर की बातें सुनाने को कहा।

घ. समर ने प्रभा को क्या कहा ?

उत्तर – समर ने कहा, तुम्हें उसकी वाइफ़ कितना बुलाती है तुम चलती नहीं एक दिन चलो न, आजकल शिरीष भाईसाहब भी आए हुए हैं।

4.”हैं ? क्या हुआ?” प्रभा एकदम जोर से उछल पड़ी, “मैं कब सो गई ?” मैं और भी गुदगुदाता कि अचानक मुझे लगा कि जैसे उसकी कमर में कोई गोली-सी बंधी है। शायद डोरे से बँधी थी। उसे चुटकी में पकड़कर पूछा, “यह क्या है, भाई ?” “कुछ नहीं… कुछ नहीं, छोड़ दो।” प्रभा घबराकर प्रार्थना के स्वर में बोली। “अब तो और भी नहीं छोडूंगा। पहले मुझे तो बता दो…..” मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और टटोलकर जानने की कोशिस करने लगा कि क्या है। सुपारी जैसी चीज़ थी। “तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। छोड़ दो। कुछ नहीं है।” उसने ऊपर से मेरा हाथ हटाने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन मैंने छोड़ा नहीं। उसके मना करने का ढंग ऐसा घबराया हुआ था कि मैं चार बार पूछने लगा। उसने बताया, “मेरे पेट में तकलीफ़ रहती है, सो अम्माजी ने दवा बताई है।”

क. समर को अचानक क्या लगा ?

उत्तर – समर को अचानक लगा कि प्रभा की कमर पर कुछ बँधा था |

ख. समर क्या जानने की कोशिश कर रहा था ?

उत्तर – समर जानने की कोशिश कर रहा था कि आखिर प्रभा ने कमर पर बाँधा क्या है।

ग. प्रभा की क्या हालत थी ?

उत्तर – प्रभा की हालत घबराहट के कारण दयनीय हो गई थी वह बार-बार हाथ जोड़ रही थी, छोड़ दो।

घ. प्रभा ने समर को क्या बताया ?

उत्तर – प्रभा ने बताया कि उसने कमर पर दवाई बाँधी है, मेरे पेट में तकलीफ रहती थी तो अम्मा जी ने दवा बताई है।

1.शिरीष भाईसाहब ने संस्कारों या अंतरात्मा के बारे में क्या उदाहरण दिया ?

उत्तर – उन्होंने बताया कि मन में जमे हुए संस्कार रेल के डिब्बे में आराम से बैठे हुए मुसाफिरों की तरह होते हैं। भरे हुए डिब्बे में आप घुसने की कोशिश कीजिए, अंदर वाला हर आदमी आपको बाहर धकेलेगा, कोशिश करेगा कि आप भीतर न आने पाए लेकिन आप लड़ भिड़कर जैसे तैसे भीतर घुस जाते हैं एक बार जहाँ आपने अपने आपको भीतरवालों से स्वीकृत कराया कि सारा विरोध समाप्त हो जाता है आप भी उनमें से एक हो जाते हैं और थोड़ी ही देर में यह हालत आ जाती हैं कि जिस जगह को आपने बुरी तरह युद्ध करके हासिल किया कुछ समय के लिए उस जगह को छोड़कर इधर-उधर हो भी जाए तो आपकी जगह सुरक्षित ही रहती है। लेकिन समस्या और है कि जहाँ आप भीतरवालों में से एक बने आप भी दूसरों की तरह नए आनेवालों का विरोध शुरु कर देते हैं।

2.समर प्रभा की किस बात पर गुस्सा कर रहा था प्रभा ने आगे से क्या बताया ?

उत्तर – समर को अचानक लगा कि प्रभा की कमर पर कुछ बँधा हुआ है। समर ने पूछा तो प्रभा घबरा गई और हाथ जोड़ने लगी छोड़ दो, कुछ नहीं है। परन्तु जब समर ने गुस्से से पूछा तो उसने बताया कि मेरे पेट में तकलीफ रहती है तो अम्मा ने दवाई दी है कमर पर बाँधने के लिए तो समर ने सख्ती से कहा- दवा खाई जाती है कि बाँधी जाती है सच-सच बताओ क्या बात है तब उसने डरते-डरते बताया कि भाभी और अम्मा को मैंने कितना समझाया कि मुझे इन बातों में विश्वास नहीं है तो वह मुझे गालियाँ देने लगी। उनका मन रखने को करना पड़ा उन्होंने कहा कि सैयद बाबा की धूनी से ठीक हो जाएगा। अवस्थी जो की बोबी कहती थी कि शादी के चार साल बाद सैयद बाबा की धूनी से उनके प्रमोद हुआ था यह सुनकर समर पागलों की तरह हँसने लगा अच्छा, इसलिए यह व्रत-उपवास हो रहे हैं। खुद अपने खाने पहनने का ठिकाना नहीं और बच्चा चाहिए और कमर पर बँधी धूनी की पोटली को तोड़कर समर ने गली में फेंक दिया। प्रभा फूट-फूटकर रोने लगी- बताओ मैं क्या करूँ, सारा दिन मेरी जान खाई जाती है, बाँझ-बाँझ कह कर अम्मा भाभी कोसती रहती है