1.मेरी इस चुप्पी से प्रभा शायद एकदम घबरा गई। वहीं धरती पर बैठकर कंधे पर हाथ रखकर पूछा, “तुम बोलते क्यों नहीं? तुम्हें मेरी कसम है, बताओ न, क्या बात हो गई? किसी से लड़ आए क्या?” “कुछ नहीं, ” चटखे गले से सूखी आवाज़ निकली। मैं जिस तरह बैठा था, बैठा रहा। खुली पलकों और सूनी आँखों से जिधर देख रहा था उधर ही देखता रहा। अचानक इतनी देर से दबा एक बड़ा-सा प्रश्न उठता हुआ आकर फिर सामने खड़ा हो गया अब ? अब क्या होगा?

क. समर निराश क्यों बैठा था ?

उत्तर – समर निराश था क्योंकि उसकी नौकरी छूट गई थी।

ख. प्रभा ने क्या पूछा ?

उत्तर – प्रभा ने पूछा, तुम बोलते क्यों नहीं तुम्हें मेरी कसम क्या बात है बताओ तो

ग. “तुम्हें मेरी कसम है बताओ न, क्या बात हो गई” वाक्य किसने किसको कहा ?

उत्तर – यह वाक्य प्रभा ने समर को कहा।

घ. समर के मन में क्या प्रश्न उठ रहा था ?

उत्तर – समर के मन में प्रश्न उठ रहा था कि अब क्या होगा ?

2.जवाब में जरा-सा झुककर प्रभा ने जवाब दिया, “आई अम्माजी” मैंने बताया, “यों ही। साला कहता था कि पंद्रह दिन तो तुमने काम सीखा, इसलिए उन दिनों का कुछ नहीं। तनख़ा के कागज पर पचहत्तर होगी, लेकिन देंगे साठ। इसी बात पर मैं लड़ आया।” मैंने बिना हिले-डुले प्रभा को बता दिया, “नाम पार्ट-टाइम का और काम पूरा। फिर ये सब।” “क्यों, ऐसा क्यों ? बड़ा आया पचहत्तर लिखाकर साठ देनेवाला! तुम दिवाकर से जाकर क्यों नहीं कहते? उसके पिताजी का तो वह दोस्त है न!” प्रभा के माथे पर बल पड़ गए, “अच्छा अंधेर है यह भी!”

क. अम्मा प्रभा को क्यों बुला रही थी ?

उत्तर – अम्मा प्रभा को बुला रही थी कि नीचे आकर चूड़ियाँ चढ़वा लो।

ख. समर ने नौकरी टूटने का क्या कारण बताया ?

उत्तर – समर ने बताया कि वह कह रह था कि पन्द्रह दिन तो तुमने काम सीखा, इसलिए उन दिनों का कोई पैसा नहीं मिलेगा। तनख़ा के कागज़ पर पचहत्तर होगी पर देगें साठ इसी कारण समर लड़ कर नौकरी छोड़कर आ गया।

ग. प्रभा ने क्या सलाह दी ?

उत्तर – प्रभा ने कहा कि ऐसा क्यों? तुम दिवाकर के पास जाकर क्यों नहीं कहते ? उसके पिता जी का तो दोस्त है न।

घ. “अच्छा अंधेर है यह भी” वाक्य किसने कहा ?

उत्तर – यह वाक्य प्रभा ने कहा।

3.बड़ी देर बाबूजी प्रतीक्षा करते रहे कि मैं ही अपनी तरफ़ से कुछ कहूँ। आखिर हारकर उन्होंने रात को पूछ ही लिया, “क्यों रे समर, तूने तो शायद दस तारीख से काम करना शुरू किया था?” मैंने लापरवाही से जवाब दिया, “बाबूजी, मेरी नौकरी छूट भी गई।””अरे, तो वह कोई तुझसे कुछ माँग थोड़े ही रहे हैं जो तू नौकरी छूटने की बात बता रहा है?” अम्मा ने बीच में कहा। उद्धत स्वर में मैंने जवाब दिया, “साफ-साफ तो नहीं ही माँग रहे, लेकिन मतलब क्या है, वह मैं भी जानता हूँ।”

क. बाबूजी ने समर को क्या कहा ?

उत्तर – बाबू जी ने समर से कहा कि क्यों रे समर, तूने तो शायद दस तारीख से काम करना शुरु किया था?

ख. समर ने क्या बताया ?

उत्तर – समर ने बताया बाबूजी, मेरी नौकरी छूट गई है।

ग. अम्मा ने समर से क्या कहा ?

उत्तर – अम्मा ने कहा, अरे, यह कोई तुझसे कुछ माँग थोड़े ही रहे है जो तू नौकरी छूटने की बात बता रहा है।

घ. समर ने उद्धत स्वर में क्या कहा ?

उत्तर – समर ने उद्धत स्वर में कहा- साफ-साफ तो नहीं ही माँग रहे लेकिन मतलब क्या है, वह मैं भी जानता हूँ।

4.“अब चुप रहिए बाबूजी, गुस्सा शांत कीजिए।” भाईसाहब समझा रहे थे। वे लोग उन्हें दोनों तरफ से पकड़कर अलग हटाए लिए जा रहे थे। क्रोध के आवेश में उनके मुँह से झाग-जैसा थूक निकल रहा था, आँखें खूब चौड़ी चौड़ी फैलकर माथे पर चढ़ गई थीं और मुँह से गालियों की अजस्र वर्षा हो रही थी। स्त्रियाँ आपस में रुलाई रोकती-सी फुसफुसा रही थीं, “क्या हुआ ?.. क्या बात हो गई?…” शायद दो-एक पड़ोस से भी आ गई थीं। उनकी धोतियों की पटलियों को पकड़े बच्चे भी आ गए थे और अब यह दृश्य देखकर रोने लगे थे।

क. भाईसाहब किसे, क्या समझा रहे थे ?

उत्तर – भाईसाहब बाबूजी को समझा रहे थे कि गुस्सा शान्त कीजिए।

ख. बाबू जी किस पर गुस्सा थे ?

उत्तर – बाबू जी समर पर गुस्सा थे

ग. स्त्रियाँ क्या कह रही थी वह क्यों इकट्ठा हो गई थीं?

उत्तर – स्त्रियाँ आपस में फुसफुसा रही थी क्या हुआ, क्या बात हो गई?

घ. बाबू जी ने गुस्से में समर को क्या कहा ?

उत्तर – बाबू जी ने गुस्से में समर को घर छोड़कर चले जाने को कहा कि तू मेरे घर निकल जा।

1.समर उस दिन क्यों निराश था उसने प्रभा को क्या बताया ?

उत्तर – समर उस दिन बहुत निराश था प्रभा के बार-बार पूछने पर उसने बताया कि उसकी नौकरी छूट गई है मालिक ने कहा कि पन्द्रह दिन तो तुमने काम सीखा उन दिनों के पैसे काटकर ही तनख़ा मिलेगी और कागज़ों में पचहत्तर लिखी। जाएगी परन्तु मिलेगी केवल साठ। समर को गुस्सा आ गया और नौकरी छोड़कर आ गया प्रभा बहुत हैरान हुई, अच्छा अंधेर है यह क्या बात हुई समर सोचता रहा कि अब क्या होगा। कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा कल फिर जाऊगा, पंद्रह दिन के ही सही कुछ तो दें।

2.बाबू जी ने समर से क्या पूछा और किस कारण इतना झगड़ा हो गया ?

उत्तर – बाबू जी ने समर से पूछा कि समर तेरी नौकरी तो दस तारीख से शुरु हुई थी न, समर ने जवाब दिया कि मेरी नौकरी छूट गई है। अम्मा के कहने पर कि बेटा वो कौन सा तुमसे कुछ माँग रहे हैं समर ने कहा मतलब तो यही है इसी बात पर बाबू जी गुस्सा हो गए भड़क पड़े हमने तो एक बात पूछी यह तो काटने को दौड़ रहा है हिम्मत तो देखो इसकी अरे हमने अपनी पहली तनखा लाकर बाप को दी थी, तुझे पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया ताकि हमारी इज्ज़त उतार कर रख दे। इसी लिए तेरी शादी की थी। ऐसा पता होता कि तू ऐसा निकलेगा तो तुझे जन्म देते ही गाड़ देते समर ने भी आगे से जवाब देते कहा मैंने तो कहा था शादी मत करो मेरी। बाबू जी का गुस्सा बढ़ता गया और उन्होंने समर को घर से निकल जाने तक को कह दिया समर का गुस्सा भी बढ़ता गया। में काफी समय तक बहस होती रही।