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- रघुवंश कालिदास कृत महाकाव्य है
- इसमें 19 सर्ग है
- इसमें 31 राजाओं का वर्णन है
- प्रारंभिक नौ सर्गों में राम के चार पूर्वजों दिलीप , रघु ,अज तथा दशरथ का वर्णन है
- 10 से 15 सर्ग तक रामचरित्र वर्णित है
- 16 से 19 सर्ग तक राम के वंश का वर्णन किया गया है
- इसमें ओजगुण का सर्वथा अभाव है
- मुख्य रूप से संयोग श्रृंगार तथा विप्रलम्भ श्रृंगार का प्रयोग हुआ है।
- कथानक का मूल स्रोत रामायण है
- प्रथम दो सर्गो में पुत्रहीन दिलीप द्वारा नंदिनी की त्यागमयी सेवा का वर्णन है
- षष्ठ सर्ग में रघु के पुत्र अज तथा इंदुमती का स्वयंवर वर्णन
- त्रयोदश सर्ग में पुष्पकारूढ राम द्वारा भारत के रम्य भौगोलिक प्रांतों का वर्णन
- दिलीप मनुवंशोत्पन्न है
- दिलीप की पत्नी सुदक्षिणा है
- रघु ने विश्वजित् नामक यज्ञ किया था
- इसी से इंदुमती स्वयंवर के श्लोक सञ्चारिणीदीप.…. पर कालिदास को दीपशिखा की उपाधि मिली
- रघुवंश महाकाव्य का प्रारंभ दिलीप से , समाप्ति अग्निवर्ण के वर्णन से होती है
- इसका समय ईशा०पू० 150 से 475 ई० के बीच का समय है
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